एंटीऑक्सिडेंट क्या हैं, और वे कैसे काम करते हैं?
विदित हो कि ब्रह्मांड में सभी पदार्थ परमाणुओं से बने हैं। परमाणु इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से बने होते हैं। परमाणु अति-प्रतिक्रियाशील होता है और यह कुछ परमाणु मिलकर अणु बना लेता है। एक अणु को स्थिर होने के लिए, इसमें सही मात्रा में इलेक्ट्रॉन होना चाहिए। यदि अणु अपने कुछ इलेक्ट्रॉन खो देता है तो वे फ्री रेडिकल बन जाता हैं।
उसी तरह मानव शरीर भी अणुओं से बना हुआ है। फ्री रेडिकल, कोशिकाओं में अस्थिर, आवेशित अणु हैं, जो अन्य अणुओं (जैसे डीएनए, अन्य कोशिका) के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है और उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। और फलस्वरूप खतरनाक बीमारियां जन्म ले सकता हैं। फ्री रेडिकल चेन रिएक्शन प्रारम्भ कर सकता हैं और अन्य अणुओं को फ्री रेडिकल में परिवर्तित कर सकते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट्स, फ्री रेडिकल्स को अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन प्रदान करता है। जो फ्री रेडिकल्स को स्थिर अणुओं में परिवर्तित कर देता है। इससे फ्री रेडिकल्स के नकारात्मक प्रभाव में कमी आती है। एंटीऑक्सीडेंट्स को स्कैवेंजर भी कहते हैं, क्योंकि यह फ्री रेडिकल्स को खाकर शरीर की सफाई करते हैं। ताजे फल-सब्जियों में एंटी-ऑक्सीडेंट्स तत्व सबसे अधिक होते हैं।
फ्री रेडिकल्स के बनने की प्रक्रिया प्राकृतिक है। भोजन के पाचन के दौरान, जब विघटन की क्रिया होती है तब इस प्रक्रिया में कुछ फ्री रेडिकल्स, उप-उत्पाद के रूप में निकलते हैं। ये फ्री रेडिकल्स अलग-अलग आकार और रासायनिक संगठन के होते हैं।। आप इन्हें पाचन के दौरान निकलनेवाले अपशिष्ट भी कह सकते हैं। इस प्रक्रिया के अतिरिक्त जंक फूड अधिक खाने से, स्मोकिंग करने से, लंबे समय तक केमिकल्स के बीच रहने से भी शरीर के अंदर फ्री रेडिकल्स के बनने की प्रक्रिया बढ़ जाती है।
फ्री रेडिकल्स हमारे शरीर में बैक्टीरिया को मारते हैं और इसलिए शरीर में कुछ फ्री-रेडिकल्स होना जरुरी है. लेकिन ज्यादा संख्या होने पर ये शरीर को नुकसान पहुचाता है।
फ्री-रेडिकल्स के कारण होनेवाले रोग
- तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) सम्बंधित मानसिक विकार जैसे, अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा।
- त्वचा संबंधी रोग होना
- त्वचा में बूढ़ापन बढ़ना
- शुगर का बढ़ना
- कैंसर होना
- बाल तेजी से झड़ना इत्यादि।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) कम होना
- हृदय रोग
एंटी-ऑक्सीडेंट के फायेदे
- कैंसर, हृदय रोगों, ब्लड प्रेशर, अल्जाइमर और दृष्टिहीनता के खतरे को कम करते हैं।
- बुढ़ापे के लक्षणों को धीमा करते हैं।
- विटामिन सी, विटामिन ई, बीटा-कैरोटिन और जिंक जैसे एंटी ऑक्सीडेंट त्वचा को जवान रखता है।
- ल्युटिन हमारी आंखों की रोशनी बनाए रखने के लिए जरूरी है।
- सेलेनियम त्वचा, बड़ी आंत और फेफड़े के कैंसर से सुरक्षा करता है।
- रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाकर संक्रमणों से बचाते हैं।
- कोशिकाओं में टॉक्सिन इकट्ठे होने से उनका डिजेनरेशन शुरू हो जाता है। यह टॉक्सिन को नष्ट कर कोशिकाओं को मृत होने से भी बचाते हैं।
एंटी-ऑक्सीडेंट के स्रोत
- गाजर (एंटीऑक्सीडेंट बीटा-कैरोटिन)
- टमाटर (लाइकोपीन, ग्लुटाथियोन)
- आंवला
- ब्रोकली, पत्तागोभी और फूल गोभी आदि सब्जियों (इंडोल्रू काबरेनेल)
- हरी चाय (कैटेचिन्स)
- काली चाय (थियाफ्लेविन)
- लहसुन
- ताजे फल-सब्जियों
- काला गेहूं
- मशरूम