Home बिहार के अखबारों में Diwali Special: किलो के भाव बिकते हैं ‘हाथी-घोड़े’

Diwali Special: किलो के भाव बिकते हैं ‘हाथी-घोड़े’

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Diwali Special: किलो के भाव बिकते हैं ‘हाथी-घोड़े’

बिहार के सोनपुर में लगने वाले विश्व के सबसे बड़े पशु मेले के बारे में आप जानते ही होंगे. कुछ साल पूर्व तक हाथी, घोड़े और अन्य पशु-पक्षी लाखों की कीमत में बिकते थे. लेकिन बिहार के इस जिले में हाथी, घोड़े और अन्य पशु-पक्षियों को किलो के भाव बेचा जाता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं दान वीर कर्ण की भूमि और योग नगरी के नाम से प्रसिद्ध मुंगेर की. यहां हाथी और घोड़े को किलो के भाव बेचा जाता है, वो भी मात्र 80 से 100 रुपये प्रति किलो. ये असल के हाथी और घोड़े नहीं हैं बल्कि यह एक प्रकार की मिठाई है जो चीनी से बनाई जाती है. दिवाली के अवसर पर काली पूजा के दौरान मां काली को प्रसन्न करने के लिए भक्त चीनी से बने हाथी, घोड़ा, पशु-पक्षी की आकृति वाले खिलौने को प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं.

मां काली को प्रसाद के तौर पर चढ़ाया जाता है खिलौना
भगवान को प्रसाद के रूप में चढ़ाये जाने वाले लड्डू, केला, सेव, पेड़ा, रसगुल्ला इत्यादि के बारे में जानते ही हैं. लेकिन मुंगेर में मां काली को चीनी से बने हाथी, घोड़ा, पशु-पक्षी रूप जैसी मिठाई को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. पंडित, पुजारी और भक्त के द्वारा बताया जाता है कि मां काली को चीनी से बने हाथी, घोड़ा, पशु-पक्षियों के खिलौने काफी पसंद होते हैं. इसीलिए बड़ी संख्या में भक्तगण इसे कर खरीद मां काली को प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं.

चीनी से बने खिलौने की जबरदस्त होती है बिक्री
दुकानदार चंदन कुमार ने बताया कि जिले भर में चीनी से बनी हाथी, घोड़े जैसी मिठाई की बिक्री बंपर होती है. दुकानदार इसे बड़ी मात्रा में बनाकर तैयार रखते हैं और ग्राहक को 80 रुपये से 100 रुपये प्रति किलो तक बेचते हैं. दुकानदार ने बताया कि इसे बनाना भी बिल्कुल आसान है. इस मिठाई को बनाने वाले कारीगर बुटिलाल, भिखारी चौधरी और कन्हैया साह ने बताया कि सिर्फ चीनी की चाशनी को बनाकर इसे हाथी घोड़े के बने फ्रेम में डाल कर निकाल दिया जाता है और जिस कलर की मिठाई बनानी है उसे चाशनी में मिला दिया जाता है. कन्हैया साह ने बताया कि दिवाली में इस मिठाई की बिक्री लगभग 2000 किलो तक होती है. इसकी तैयारी 15 दिन पूर्व से ही शुरू करनी पड़ती है. दिवाली में इस खिलौने की जबरदस्त बिक्री होती है. जिलेभर में हजारों किलो चीनी से बने इस खिलौने की बिक्री हो जाती है.

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