Homeबिहार के अखबारों मेंBihar Liquor Ban: बिहार में अब पहली बार शराब पीते पकड़े गए तो 50,000 की जगह लगेगा सिर्फ 5,000 रुपये का जुर्माना

Bihar Liquor Ban: बिहार में अब पहली बार शराब पीते पकड़े गए तो 50,000 की जगह लगेगा सिर्फ 5,000 रुपये का जुर्माना

बिहार में लागू शराबबंदी को लेकर अब नए नियम को हरी झंडी मिल गई है। संशोधित कानून के अनुसार, अब पहली बार शराब पीते हुए पकड़े जाने वालों को जुर्माना जमा करने के बाद ड्यूटी मजिस्ट्रेट से जमानत मिल जाएगी और यदि अपराधी जुर्माना राशि जमा करने में सक्षम नहीं है तो उसे एक महीने की जेल का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति शराब पीते हुए दूसरी बार पकड़ा जाता है, तो जुर्माना न लेकर उसे अनिवार्य रूप से एक साल का जेल होगा।

बिहार विधानसभा के बजट सत्र में संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया है। नए नियमों की मंजूरी के बाद अब बिहार में कोई भी व्यक्ति पहली बार शराब पीते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे दो से पांच हजार रुपये तक जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाएगा।

जुर्माना नहीं भरने वालों को जाना पड़ेगा जेल

इसके अनुसार, जब किसी को शराबबंदी कानूनों का उल्लंघन करते हुए पुलिस पकड़ेगी तो आरोपी को उस व्यक्ति का नाम बताना होगा, जिसने शराब उपलब्ध करवाई। हालांकि, अगर अभियुक्त पुलिस के साथ सहयोग नहीं कर रहा है या जुर्माना नहीं देता है, तो उसे 30 दिनों के लिए जेल भेज दिया जाएगा।

दूसरी बार शराब पीने वालों को एक साल की जेल

वहीं, अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार शराब पीते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे एक साल की कैद की सजा भुगतनी होगी। इससे पहले, 2018 में किए गए एक संशोधन के अनुसार, पहली बार शराब पीने वाले किसी व्यक्ति को 50,000 रुपये जुर्माना देकर छोड़ने का प्रावधान था। लेकिन 2022 में नए संशोधन के बाद अब जुर्माने की राशि को 2,000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक कर दिया गया है।

2016 में लागू हुआ था शराबबंदी

बिहार में 2016 में शराबबंदी कानून लागू हुआ था, जिसके तहत पूरे राज्य में शराब के निर्माण, बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। प्रतिबंध के बाद से बड़ी संख्या में लोग केवल शराब पीने के आरोप में जेलों में बंद हैं। उल्लंघन करने वालों में अधिकांश आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और गरीब लोगों में से हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने पिछले साल कहा था कि 2016 में बिहार सरकार के शराबबंदी जैसे फैसलों ने अदालतों पर भारी बोझ डाला है। उन्होंने कहा था कि अदालतों में तीन लाख मामले लंबित हैं। चीफ जस्टिस ने कहा था कि लोग लंबे समय से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं और अब शराब के उल्लंघन से संबंधित अत्यधिक मामले अदालतों पर अतिरिक्त बोझ डाल रहे हैं।

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