बिहार भारत के प्रमुख आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में से एक है। इस प्रदेश में गंगा मैदान से सटे मैदानी भागों में प्रतिवर्ष बाढ़ आती है।
गंगा के मैदान में स्थित बिहार एक बाढ़ प्रभावित राज्य है। जिसके 37 में से 24 जिले और कुल 533 सामुदायिक विकास प्रखंडों में से 119 प्रखंड प्रतिवर्ष वर्षा काल में बाढ़ से प्रभावित होते हैं। बाढ़ के कारण लाखों हेक्टेयर भूमि की फसल नष्ट हो जाती है। हजारों मकान ध्वस्त हो जाते हैं और बड़ी संख्या में मानव तथा मवेशी मारे जाते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2003 में आई भयंकर बाढ़ में 42.45 लाख की जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित हुई थी। 3. 25 लाख हेक्टेयर भूमि की फसलें नष्ट हो गई थी। 15,986 मकान ध्वस्त हो गए थे और 200 मनुष्य तथा 108 पशु मारे गए थे। बाढ़ के समय जो लोग पानी में घिरे होते हैं उनके बीच भोजन, कपड़े और दवाओं की आपूर्ति भी एक बड़ी समस्या बन जाती है।
उत्तर बिहार में वृहत गंगा के बेसिन के 6 उप बेसिन हैं। पश्चिम से पूरब में इनके नाम इस प्रकार हैं-
घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, अवधारा समूह, कमला-बलान, कोसी और महानंदा।
गंगा बेसिन के अंतर्गत 23 नदी प्रणालियां है। जल संसाधन बिहार में प्रचुर मात्रा में है हालांकि इसका सदुपयोग सही तरीके से ना होने के कारण बाढ़ की स्थिति और सूखे की स्थिति दोनों से बिहार ग्रसित हो जाता है।
उत्तरी बिहार के सभी 19 बाढ़ प्रभावित जिलों में बिहार के कुल बाढ़ क्षेत्र का 85% भाग आता है जबकि दक्षिण बिहार में सिर्फ 15% भाग आता है।दक्षिण बिहार के सिर्फ 5 जिले भागलपुर, मुंगेर, पटना, भोजपुर और बक्सर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है।
बिहार में बाढ़ आने के कारण:
1.बिहार में हिमालय से आने वाली गंगा की सहायक नदियां कोसी, गंडक और घाघरा बहुत ज्यादा गाद लाती हैं. इसे वे गंगा में अपने मुहाने पर जमा करती हैं. इसकी वजह से पानी आसपास के इलाकों में फैलने लगता है और बाढ़ का कारण बन जाता है।
- नेपाल से और फरक्का बराज से छोड़े जाने वाले अत्यधिक मात्रा में जल से भी कोशी क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति बन जाती है। सन 2008, 2011, 2013, 2015, 2017 और 2019 वे वर्ष हैं जब नेपाल से पानी छोड़ा गया है और बिहार में उसके कारण बाढ़ आ गया है। कोसी, नारायणी, कर्णाली, राप्ती, महाकाली वे नदियाँ हैं जो नेपाल से होकर भारत में बहती हैं।
- बिहार में तटबंध क्षेत्र जरूरत से कम है जिसकी वजह से बाढ़ को रोकना मुश्किल हो जाता है। साथ ही मजबूत तटबंधों का बनाया जाना बेहद आवश्यक है।
- पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से बिहार में जलग्रहण क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) में कमी हो रही है। इसकी वजह से कैचमेंट एरिया में पानी के बहाव पर रोक नहीं लग पाता है।
- मानव की पर्यावरण विरोधी गतिविधियां भी बाढ़ को बढ़ावा देती है। नदियों का बार-बार मार्ग बदल लेना, बादल का फटना इत्यादि मनुष्य का पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ का ही परिणाम है।
Ananya Swaraj
Assistant Professor