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बिहार में मानकों की अनदेखी कर धड़ल्ले से दौड़ रहे जुगाड़ वाहन

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बिहार में मानकों की अनदेखी कर धड़ल्ले से दौड़ रहे जुगाड़ वाहन

बिहार में जुगाड़ गाड़ी और खटारा वाहनों का धड़ल्ले से परिचालन हो रहा है, लेकिन इस पर रोक लगाने के लिए विभाग के पास पुख्ता प्रबंध नहीं हैं। यह चिंताजनक है कि वाहनों की फिटनेस जांच में तय मानकों का पालन नहीं हो पा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जांच के लिए जरूरी उपकरण नहीं होने की वजह से 100 में से 97 वाहनों को सड़कों पर चलने की छूट मिल जाती है।

अधिकतर मामलों में देखा गया है कि सिर्फ कागजात देखकर वाहन मालिकों को फिटनेस प्रमाणपत्र दे दिए जाते हैं। यह बेहद घातक है। सड़कों पर दौड़ रहे अनफिट वाहन न सिर्फ प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं, बल्कि हादसों को भी आमंत्रित करते हैं। इसपर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है। हालांकि परिवहन विभाग ने फिटनेस जांच के लिए स्वचालित केंद्र बनाने की योजना बना रखी है, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ सका है। इस पर शीघ्र काम करना होगा।

फिटनेस जांच के लिए स्वचालित केंद्र बन जाने से बड़े पैमाने पर युवाओं का नियोजन भी होगा। अभी इस तरह की डिग्री लेने वाले दक्ष युवा दूसरे प्रदेशों में अपनी सेवा दे रहे हैं। स्थानीय स्तर पर केंद्र खुलने से राज्य के मानव संसाधन का सदुपयोग होगा। ड्राइविंग लाइसेंस देने में भी सतर्कता बरतनी होगी। अभी कई जगहों से ऐसी सूचना मिलती है कि बिचौलियों के बूते बगैर टेस्ट दिए लाइसेंस निर्गत कर दिए जा रहे हैं। हालांकि परिवहन कार्यालयों में सीसी कैमरे लगे हैं, लेकिन बिचौलिए इसका भी जुगाड़ तलाश लेते हैं।

राज्य सरकार की सभी जिलों में चालकों की जांच के लिए ट्रैक बनाने की योजना है, लेकिन कई जिलों में प्रशासनिक हीलाहवाली से ट्रैक के लिए भूमि चिह्नित नहीं हो पा रही है। ट्रैक्टर-ट्राली लेकर अकुशल चालक सड़क पर चल रहे। हादसों की बढ़ती संख्या एवं हाई स्पीड वाहनों के मद्देनजर बड़ी संख्या में कुशल चालकों की जरूरत है। इसलिए इसे सर्वोच्च प्राथमिकता में रखना होगा। मोटरयान निरीक्षक एवं परिवहन पदाधिकारी के रिक्त पड़े पदों पर बहाली भी जरूरी है। एक मोटरयान निरीक्षक के जिम्मे दो से तीन जिलों के प्रभार हैं।

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