तारीख-14 जून 2022 और 6 नवंबर 2022 – इस दिन से पहले नीलम देवी होम मेकर थीं। कभी सोचा नहीं था कि पति की विरासत संभालेंगी। विधायक बनेंगी, लेकिन 14 जून 2020 को पति की एमएलए-एमपी कोर्ट से सजा होती है। इस दिन तय होता है कि वे पति की सत्ता कायम रखने के लिए राजनीति में उतरेंगी। 6 नवंबर 2022 को विधायक चुनी जाती हैं।
किचन से निकलकर विधायक बनने की यह कहानी है बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी की। यहां बाहुबलियों का हेड-टेल चल रहा है। दामन पर दाग के बाद बाहुबली पत्नियों को सदन पहुंचा देते हैं। वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सदन में रहते हैं। नीलम देवी भी इसी कड़ी का हिस्सा हैं।
अनंत सिंह पहले बाहुबली नहीं जिनकी पत्नी सदन में पहुंची हैं, बिहार में ऐसे कई बाहुबली हैं जिन्होंने दामन पर दाग के बाद पत्नियों को किसी न किसी सदन तक पहुंचाया है। पार्टियों की मजबूरी ऐसी है कि न चाहते हुए भी उनके परिवार को साथ रखना पड़ता है। राजनीतिक जानकार इसे बाहुबलियों का हेड-टेल बताते हैं। ऐसा भी नहीं है कि सब सफल हो गए। इसमें कुछ असफल भी हो हुए।
नीलम के बहाने विधानसभा में अनंत की अप्रत्यक्ष एंट्री
मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह को कोर्ट से सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता समाप्त हो गई थी। अनंत सिंह को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सदन में रहना है। अनंत सिंह की सदस्यता खत्म होने से खाली हुई सीट पर उपचुनाव में भी अनंत का सिक्का चला। नीलम देवी को आरजेडी ने चुनाव मैदान में उतारा और वह सदन में पहुंच गई।
हालांकि अनंत सिंह को भविष्य की चिंता पहले से ही थी और परिस्थितियों को देखते हुए पहले ही नीलम को चुनाव मैदान में उतार दिया था। अनंत सिंह की पत्नी नीलम 2019 में मुंगेर से लोकसभा चुनाव लड़ी, लेकिन जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने उन्हें हरा दिया था। नीलम घरेलू महिला रही हैं, वह इतनी साधारण रहीं हैं कि आज भी अनंत सिंह का नाम नहीं लेती हैं। राजनीति तो दूर की बात है। एजी ओजी और विधायक जी से संबोधित करने वाली नीलम अब सदन में अंनत की आवाज बन गई हैं। नीलम के बहाने अनंत सिंह की विधानसभा में अप्रत्यक्ष रूप से उपस्थिति रहेगी।
बाहुबली सूरजभान-पत्नी को सांसद बनवा दिया
90 के दशक में बिहार के बड़े बाहुबल के रूप में उभरकर सामने आए सूरजभान सिंह ने भी राजनीति में एंट्री मारी। बाहुबली की राजनीतिक एंट्री से ताकत और बढ़ गई। बाहुबली के ताप से उनके पिता ने गंगा में कूदकर जान दे दी थी। बड़े भाई सीआरपीएफ के जवान ने भी मौत को गले लगा लिया। इसके बाद भी सूरजभान सिंह की जरायम में धमक कम नहीं हुई। सूरजभान पहली बार वर्ष 2000 में विधायक बने। वर्ष 2004 में वह रामविलास की पार्टी लोजपा से बलिया लोकसभा सीट (अब मुंगेर सीट) से सांसद बन गए। अनंत की तरह सूरजभान को भी यह पहले पता था कि उनपर लगा अपराध का दाग कभी राजनीतिक रुट का ब्रेक बनेगा, इस कारण उन्होंने अपनी पत्नी वीणा देवी को मैदान में उतार दिया। जब बलिया से सांसद रहे सूरजभान चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य कर दिए गए तो उनकी पत्नी वीणा देवी की एंट्री मुंगेर में लोजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव में हुई। वह चुनाव जीतकर संसद में पहुंचीं और सूरजभान सिंह की आवाज बनीं। सूरजभान ने अपना प्रभाव बढ़ाने को लेकर अपने भाई को नवादा से सांसद बनवाया।
आनंद मोहन ने लवली को पहुंचाया सदन
बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन का एक समय में राज्य के कोशी इलाके में दबदबा रहा है। बाहुबली ने 1990 में बिहार की राजनीति में एंट्री मारी थी। वह पहली बार सहरसा से विधायक बने। बाहुबली ने अपनी पत्नी लवली आनंद को राजनीतिक दहलीज पार कराकर 1994 में वैशाली से सांसद बनवा दिया था। आनंद मोहन को डीएम की हत्या में आजीवन कारावास की सजा हुई है। लवली आनंद राजनीति में एंट्री के बाद लगातार अपने पति की बेगुनाही को लेकर लड़ाई लड़ती रहीं। आनंद मोहन ने लबली आनंद को अपनी आवाज मुखर कराने और दबदबा के लिए राजनीति में लाया।
शहाबुद्दीन की पत्नी नहीं बन पाई आवाज
बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी राजनीति में सफल नहीं हो पाई। शहाबुद्दीन की पत्नी हिना साहेब राजनीति में पति की तरह सिक्का नहीं जमा पाईं। शहाबुद्दीन चाहते थे कि हिना राजनीति में दमदारी से दखल करें, लेकिन वह अपनी मंशा में कामयाब नहीं हो पाए। वर्ष 1996 से लेकर 2009 तक चार बार विधायक रहे शहाबुद्दीन पार्टी के टिकट बंटवारे में बड़ा रोल अदा करते रहे, लेकिन वह उन्हें राजसभा में भी एंट्री नहीं दिला पाए। शहाबुद्दीन का वर्चस्व होने के बाद भी हिना को सफलता नहीं मिली। वह तीन तीन बार लोकसभा का चुनाव लड़ी लेकिन एक बार भी सफल नहीं हो पाईं। शहाबुद्दीन के बाद समर्थक भी हिना को सदन में देखना चाहते थे और इसी लिए राजसभा के लिए समर्थकों ने आवाज भी उठाई लेकिन पार्टी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपिति की पत्नी की एंट्री
नाबालिग स्कूली छात्रा से दुष्कर्म के आरोपित आरजेडी के पूर्व विधायक राजबल्लभ की पत्नी भी राजनीति में एंट्री मारी। दुष्कर्म के आरोप में विधानसभा की सदस्यता गंवाए आरजेडी विधायक व पूर्व राजबल्लभ यादव एमएलए नहीं होने के बाद भी पत्नी के कारण प्रभाव में रहे। वह जेल में हैं लेकिन पत्नी का प्रभाव कायम है। राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी नवादा से आरजेडी की विधायक हैं।
चित भी मेरी पट भी मेरी
पटना के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विषयों के जानकार प्रवीण बागी का कहना है कि बाहुबलियों के लिए चित भी मेरी पट भी मेरी वाली राजनीति है। इसे बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का हेड-टेल कहा जा सकता है। बाहुबली खुद या अपने परिवार को राजनीति में किसी न किसर मजबूरी में लाते हैं। पहले तो खुद कोशिश करते हैं, चुनकर आते भी हैं। लेकिन जब कोई कानूनी बाध्यता होतती है, या किसी कारण से चुनाव के लिए अयोग्य हो जाते हैं तब वह अपना रुतबा और दबदबा बरकरार रखने के लिए परिवार को लाते हैं। अधिकतर बाहुबली पत्नियों को अपना उत्ताधिकारी बनाते हैं। हालांकि यह बहुत बड़ी बिडंबना है कि कि बाहुबली हो या उनकी पत्नियां चुनाव जीतकर सदन में आते हैं। जनप्रतिनिधि तो हें, लेकिन जनता उनसे बात करने मिलने से डरती है।
राजनीतिक पार्टियों की मजबूरी
पटना के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विषयों के जानकार प्रवीण बागी बताते हैं कि बाहुबली राजनीतिक पार्टियों की मजबूरी हैं। आलम यह है कि बाहुबली या फिर उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में होता है तो दूसरी पार्टियों को उम्मीदवार उतारने में भी बड़ी चुनौती होती है। मोकामा उपचुनाव में भी ऐसा ही हुआ है। अंनत सिंह की पत्नी के चुनाव मैदान में आने के बाद बीजेपी को भी बाहुबली की पत्नी को मैदान में उतारना पड़ा। बाहुबलियों को पावर चाहिए और वह पावर खुद से लेकर परिवार के सदस्यों के माध्यम से पूरी करते हैं। हालांकि मतदाता ही मुहर लगाती है तभी वह सदन में जा रहे हैं। इसके पीछे आतंक प्रभाव और दहशत बड़ा मायने रखती है। हालांकि अब थोड़ी कमी आई है लेकिन अभी भी जहां बड़े बाहुबली या उनके परिवार का प्रत्याशी मैदान में होता है तो दूसरी पार्टियों को प्रत्याशी भी नहीं मिलते हैं।
अब चलेगी नीलम-अनंत कहानी
अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी मोकामा सीट से विधायक चुनी गई हैं। राजद की विधायक बनी नीलम 16707 मतों से जीत दर्ज की हैं। इस जीत के कई मायने हैं। मोकामा में अनंत राज का अंत नहीं हुआ, इस कड़ी को अब नीलम आगे बढ़ाएंगी। जेल में रहने के बाद भी अनंत अब मजबूत रहेंगे और प्रत्यक्ष न सही अप्रत्यक्ष रुप से अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराएंगे। मोकामा में अनंत का सिक्का चलता है। विधायकी जाने के बाद अनंत सिंह को झटका लगा, लेकिन नीलम की जीत के साथ वह जेल में होने के बाद भी मोकामा में एक बार फिर ताकतवर हो गए।
अनंत सिंह :
बिहार के बाहुबलियों में अनंत सिंह का खौफ है
अनंत सिंह के बाढ़ स्थित घर में 2019 पुलिस की बड़ी छापेमारी हुई
पुलिस ने एके 47 जैसे हथियर कारतूस और ग्रेनेड तक बरामद किया
14 जून 2022 को अनंत सिंह को दोषी करा दिया
मोहम्मद शहाबुद्दीन
सिवान के दो सगे भाइयों को तेजाब से नहलाकर मार डाला
2004 में शहाबुद्दीन को दो भाइयों की हत्या में दोषी पाया गया
तेजाब कांड में शहाबुद्दीन को उम्र कैद की सजा हुई
19 साल की उम्र में शहाबुद्दीन ने पहला मर्डर किया था
2005 में पुलिस की छापेमारी में शहाबुद्दीन के घर हथियरों का जखीरा मिला
शहाबुद्दीन को हिस्ट्रीशीटर टाइप ए अपराधियों की श्रेणी में रखा गया था
सूरजभान सिंह
90 के दशक में सूरजभान सिंह का बड़ा खौफ रहा
2000 में बाहुबली सूरजभान सिंह विधायक बन गए
2000 में उनके खिलाफ यूपी बिहार में कुल 26 मामले दर्ज थे
1992 में बेगूसराय में रामी सिंह की हत्या में सूरजभान को उम्र कैद हुई
आनंद मोहन
आनंद मोहन पर गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या का अरोप
5 दिसंबर 1994 को हुई तत्कालीन डीएम की हत्या ने बिहार में भूचाल ला दिया
आनंद मोहन के नेतृत्व में हो रहे प्रदर्शन में डीएम को पुलिस के बीच गोली मारी गई थी
गोपालगंज के तत्कालीन डीएम की हत्या में आनंद मोहन को सजा हुई
14 साल से आनंद मोहन जेल में बंद हैं
अजय सिंह
राजनीतिक वर्चस्व के लिए डॉन को पृित पक्ष में शादी करनी पड़ी
कविता देवी बाहुबली डॉन से अजय से शादी कर विधायक बनी कविता के विधायक बनने के बाद अजय का वर्चसव काफी बढ़ गया
कविता सिंह को डॉन अजय सिंह से शादी के बाद पहचान मिली
2011 में विधानसभा चुनाव को लेकर आनन फानन में शादी करनी पड़ी
राजबल्लभ यादव
2016 में 9 साल की छात्रा से रेप का आरोप लगा
घटना के बाद सबूत से छेड़छाड़ को लेकर चर्चा में आए
दोष सिद्ध होने के बाद पूर्व विधायक को उम्र कैद की सजा हुई
पटना के तत्कालीन डीआईजी शालिन ने काफी चुनौती के बाद गिरफ्तार कराया था
बाहुबली ने काफी प्रभाव दिखाया लेकिन पुलिस की सख्ती में वह टूट गया
बीबी को सदन की दहलीज पार कराने में पास बाहुबली
अनंत सिंह
सूरजभान सिंह
पप्पू यादव
अजय सिंह
अरुण यादव
राज बल्लभ यादव
आनंद मोहन