शुक्रवार, मार्च 29, 2024
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1 साल में 2 लाख करोड़ रुपये खर्च कर बिहार अग्रणी राज्‍यों की सूची में

बिहार से एक अच्‍छी खबर सामने आई है. सालाना बजट खर्च के मामले में प्रदेश ने नया कीर्तिमान बनाया है. बिहार सरकार 1 साल में 2 लाख करोड़ रुपये खर्च कर प्रदेश को अग्रणी राज्‍यों की सूची में पहुंचा दिया है. वहीं, आमदनी भी 56 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. सालाना खर्च और आमदनी के मामले में नीतीश कुमार की सरकार ने पूर्व की लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सरकार को पीछे छोड़ दिया है. आमतौर पर विकास कार्यों को खर्च के समानुपाती माना जाता है. मतलब यह कि सरकार द्वारा किए गए खर्च से विकास कार्यों की प्रगति का अनुमान लगाया जाता है. सालाना खर्च के मामले में अब बिहार से सिर्फ 5 राज्‍य ही आगे हैं. बिहार राज्‍य योजना बोर्ड के उपाध्‍यक्ष विजेंद्र यादव ने यह जानकारी दी है.

बिहार राज्‍य योजना बोर्ड (Bihar State Planning Board) के उपाध्‍यक्ष विजेंद्र यादव ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है जब बिहार का कुल खर्च 2 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा हो गया है. उन्‍होंने बताया कि इतनी राशि खर्च करने वाला बिहार देश का छठा राज्‍य बन गया है. विजेंद्र यादव ने बताया कि यह सरकार की दूरदृष्टि और बेहतर मैनेजमेंट का नतीजा है. उन्होंने बताया कि साल 2005 से पहले सरकार 25 हजार करोड़ रुपए भी खर्च नहीं कर पाती थी. आमदनी भी 4 अंकों में ही सीमित थी. राज्‍य योजना बोर्ड के उपाध्‍यक्ष ने बताया कि बिहार की इतनी आमदनी तब है, जब CM नीतीश कुमार ने केंद्र से कर्ज लेने की राशि निश्चित कर दी है.

ये 5 राज्‍य बिहार से आगे

सालाना बजट खर्च के मामले में बिहार से 5 राज्‍य आगे हैं. इनमें उत्‍तर प्रदेश, महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात शामिल हैं. बता दें कि ये सभी राज्‍य पहले से ही विकसित राज्‍य की श्रेणी में आते हैं. वहीं, झारखंड के अलग होने के बाद से बिहार में भारी उद्योग की काफी कमी आ गई है. अभी तक इस कमी को दूर नहीं किया जा सका है.

GST कलेक्‍शन में वृद्धि

विजेंद्र यादव ने आगे बताया कि टॉप-6 में जो भी राज्य बिहार से ऊपर हैं, वे पहले से ही संपन्न हैं. इनके पास औद्योगिकरण के साथ सी-पोर्ट की भी सुविधा है. सी-पोर्ट होने के कारण राज्य में ट्रांसपोर्टेशन आसान हो जाता है. उन्‍होंने कहा कि कोरोना के कारण लगातार आर्थिक और वाणिज्यिक गतिविधियां बाधित रहीं. कई स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा. व्यापार लगभग ठप रहा. इसके बाद भी राज्य के GST कलेक्शन में पिछले साल की तुलना में 17% की बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा निबंधन कर में 107%, ट्रांसपोर्ट कर और खान व भूतत्व कर में भी पिछले साल की तुलना में वृद्धि हुई है.

विशेष राज्‍य का दर्जा देने की मांग में बदलाव नहीं

विजेंद्र यादव ने बताया कि सरकार के बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग में कोई बदलाव नहीं होगा. यह सरकार के प्रबंधन की उपलब्धी है. आज भी हमारी प्रति व्यक्ति आय काफी कम है. झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में उद्योग भी नहीं बचे हैं. ऐसे में बिहार को विकसित की श्रेणी में शामिल करने के लिए इसे विशेष राज्य का दर्जा देना जरूरी है.

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