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बिहार सरकार महिलाओं एवं बालिकाओं के सशक्तिकरण के लिए कौन-कौन से कार्यक्रम चला रही है?

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बिहार सरकार महिलाओं एवं बालिकाओं के  सशक्तिकरण के लिए कौन-कौन से कार्यक्रम चला रही है?

स्वास्थ्य, शिक्षा, अंतरिक्ष हर जगह महिलाओं की मौजूदगी है, ऐसे में महिलाओं की जो क्षमता और मेधा है, उसका इस्तेमाल होना चाहिए। बिहार सरकार ने इस दिशा में काफी पहल की है। बिहार सरकार महिलाओं एवं बालिकाओं के उत्थान के लिए एवं उनके  सशक्तिकरण के लिए निम्नलिखित कार्यक्रम चला रही है –

शराबबंदी

बिहार राज्य में महिला सशक्तिकरण हेतु शराबबंदी जैसे क्रांतिकारी निर्णय का सख्ती से अनुपालन किया जा रहा है. महिलाओं की मांग पर ही बिहार में 1 अप्रैल 2016 से क्रमबद्ध ढंग से शराबबंदी लागू की और उसके चार दिन बाद 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू की, जिसके सुखद परिणम भी सामने आ रहे हैं।

शराब के सेवन से परिवार के अंदर वातावरण खराब होता था और बच्चों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था। शराब के कारण परिवार का वातावरण भी कुंभलाया रहता था और शाम के समय मारपीट की घटना होती रहती थी। शहर और कसबों में ऐसा माहौल हर जगह देखने को मिलता रहता था लेकिन शराबबंदी के बाद से माहौल बदला है, प्रेम और सौहार्द्र का वातावरण बना है, घरेलू हिंसा में कमी आई है. शराबबंदी के बाद बिहार के घरों में बहुत शांति का माहौल है। इस कदम से नारी सशक्तिकरण को बल मिला है

बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता अभियान

दहेज प्रथा एवं बाल-विवाह कानूनन दंडनीय अपराध है। समाज में शांति के लिए दोनों कुरीतियों को समाप्त होना जरूरी है। दहेज प्रथा एवं बालविवाह उन्मूलन हेतु राज्यव्यापी अभियान चलाकर इन बुराइयों को भी जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है.

वर्ष 2015 के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो महिला अपराध में बिहार का 26वां स्थान है, पर दहेज मृत्यु के दर्ज मामलों की संख्या में हमारे प्रदेश का स्थान देश में दूसरा है। राज्य के प्रत्येक 10 में से 4 लड़कियों का विवाह बालपन में ही हो जाता है, जिसके कारण 15 से 19 आयु वर्ग की 12.2 फीसदी किशोरियां मां बन जाती हैं या गर्भावस्था में रहती हैं। बच्चे को जन्म देने के दौरान, 15 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं की मृत्यु की संभावना 20 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं की अपेक्षा पांच गुना अधिक होती है।

बालविवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ जिला प्रशासन विभिन्न गतिविधि कर जागरूकता फैलाया जा रहा है। पंचायतों के लोगों को नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। अभियान के तहत स्कूली छात्र-छात्राओं की साइकिल रैली निकाली जाती है। छात्र-छात्राओं को दहेज नहीं लेने एवं बाल-विवाह नहीं करने का शपथ दिलाया जाता है। बच्चे, नौजवान एवं बुजुर्गों के जागरूकता से ही बाल-विवाह एवं दहेज प्रथा जैसी कुरीति समाज से खत्म होगी। कोई भी अभियान तभी सफल होता है जब उसमें समाज के सभी वर्गों की सहभागिता होती है और क्रांति का रूप लेती है। आज दहेज प्रथा एवं बाल-विवाह के खिलाफ क्रांति लाने की जरूरत है।

लोग गरीबी, शिक्षा की कमी, रीति-रिवाज के कारण बाल विवाह करते हैं, इसका दुष्परिणाम काफी गंभीर होता है। हमारे यहां कानून है कि 21 साल से कम उम्र के लड़के और 18 साल के कम उम्र की लड़की की शादी नहीं हो सकती परंतु बाल विवाह होता है। बाल विवाह के पश्चात लड़कियों को काफी कष्ट झेलना पड़ता है। अगर लड़की कम उम्र में गर्भधारण करती है तो प्रसव के दौरान बच्चा एवं माॅ की मौत की आषंकायें बढ़ जाती हैं और अगर बच्चे होते हैं तो उन्हें अनेक प्रकार की बीमारी सताती है। आज कल बौनापन के शिकार लोगों की संख्या बढ़ रही है। बौनेपन का एक प्रमुख कारण बाल विवाह भी है। अंतराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रतिवेदन के अनुसार बिहार राज्य में वर्ष 2006 से 2016 के बीच 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 40 फीसदी बच्चे बौनेपन का शिकार हो रहे हैं, वहीं एक आंकड़ा ये भी दर्शाता है कि कम उम्र की विवाहित लड़कियों को गर्भधारण के दौरान भ्रूण-जांच से गुजरना पड़ता है। इसी क्रम में अन्य कन्या भ्रूण की जानकारी मिलती है तो गर्भपात कराने के मामले सामने आते हैं। ऐसी मनोवृति बालिकाओं के शिशु मृत्यु दर को भी बढ़ाती है, यही कारण है कि हमारे राज्य में बालिकाओं का शिशु मृत्यु दर 46 तथा बालकों का 31 है। बाल विवाह एवं दहेज प्रथा पर नियंत्रण के बाद महिला संबंधी अपराध में कमी आएगी। 2016 में दहेज मृत्यु के 987 मामले और दहेज प्रताड़ना के 4852 मामले सामने आए हैं। अगर बाल विवाह एवं दहेज प्रथा से छुटकारा मिल जाए तो कितना अच्छा होगा। दहेज के खिलाफ पहले से 1961 का कानून है तथा 2006 का बाल विवाह का कानून है। इसके बावजूद ये स्थिति है।

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के योजना के माध्यम से महिलाओं एवं किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए व्यापक पहल की गई है बिहार सरकार द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं के उत्थान हेतु चलाए जा रहे कार्यक्रम मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना राज्य सरकार द्वारा बालिकाओं के संरक्षण स्वास्थ्य स्वावलंबन पर आधारित मुख्यमंत्री कन्या योजना लागू की गई है.

इस योजना का उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या को रोकना कन्याओं के जन्म निबंधन एवं संपूर्ण टीकाकरण को प्रोत्साहित करना लिंग अनुपात में वृद्धि लाना बालिका शिशु मृत्यु दर कम करना बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना बाल विवाह पर अंकुश लगाना तथा कुल प्रजनन दर में कमी लाना है यह योजना बालिकाओं को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाने सम्मान पूर्वक जीवन यापन करने का अवसर प्रदान करने तथा परिवार एवं समाज में उनके आर्थिक योगदान को बढ़ाने में भी सहायक होगी

इस योजना के अंतर्गत राज्य के सभी कन्याओं को जन्म से लेकर स्नातक होने तक विभिन्न चरणों में रु 54100 की प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा दी जाती है

महिलाओं के लिए आरक्षण

  • वर्ष 2006 से पंचायती राज संस्थानों एवं वर्ष 2007 से नगर निकायों के निर्वाचन में पहली बार देश में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण दिया जा रहा है
  • प्राथमिक शिक्षक नियोजन में 50% स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित है
  • राज्य में पहली बार महिला बटालियन का गठन किया गया है. राज्य के सभी 40 जिलों में एक-एक महिला थाना की स्थापना एवं इस हेतु विभिन्न कोटि के 647 पदों का सृजन किया गया है
  • राज्य में अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए वर्ष 2014 में स्वाभिमान बटालियन का गठन किया गया है
  • पुलिस बल में सिपाही से अवर निरीक्षक तक के पदों पर सीधी नियुक्ति में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण की व्यवस्था की गई है
  • आरक्षित रोजगार, महिलाओं का अधिकार निश्चय के तहत सरकार के सभी सरकारी सेवाओं/ संवर्गों के सभी स्तर के एवं सभी प्रकार के पदों पर सीधी नियुक्तियों में महिलाओं को 35% क्षैतिज आरक्षण दिया गया है

जीविका – बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन परियोजना

जीविका – बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन परियोजना – बिहार में महिलाओं के विकास सशक्तिकरण एवं गरीबी उन्मूलन के लिए जीविका एक सशक्त कार्यक्रम है. वर्ष 2007 में बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन परियोजना जीविका को प्रारंभ किया गया. यह वर्तमान में राज्य के सभी 534 प्रखंडों में लागू है.

जीविका के अंतर्गत गरीबों के संस्थागत संगठनों का निर्माण कर जीविकोपार्जन हेतु वित्तीय  सहयोग, सूक्ष्म ऋण तथा लेखा प्रबंधन के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है. जीविका के प्रयासों का नतीजा है कि महिलाओं में निर्णय लेने की क्षमता का विकास हुआ है और भी अपने शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों के प्रति सजग हुई है. सात निश्चय में शामिल कौशल विकास गतिविधियों से जीविका समूह की महिलाएं जुड़कर अपने को हुनरमंद बना रही हैं

जीविका के समूह सदस्यों के प्रयास का परिणाम है कि आज बिहार में शराब का उपभोग प्रतिबंधित है तथा खुले में शौच से मुक्ति हेतु लोग संकल्पित हो रहे हैं

जीविका कार्यक्रम के अंतर्गत इस वर्ष तक 1.09 करोड़ परिवारों को आच्छादित करते हुए महिलाओं के 9.25  लाख स्वयं सहायता समूह का गठन किया जा चुका है तथा 50023 ग्राम संगठन एवं 120 कलस्टर लीवर फेडरेशन कार्यरत हैं. अब तक 6.02 लाख स्वयं सहायता समूह का बैंक से सम्बद्ध किया गया है.

वर्ष 2011 की जनगणना में राज्य की महिलाओं के साक्षरता दर में 20% की दशकीय वृद्धि दर्ज हुई जिसके कारण बिहार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला.

जेंडर रिसोर्स सेंटर

जेंडर रिसोर्स सेंटर की स्थापना विभिन्न निदेशालय निकायों में योजना एवं नीतियों के निर्माण के दौरान जेंडर संवेदी मुद्दों को मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से किया गया है. यह केंद्र विभिन्न विभागों, स्वैच्छिक संगठनों एवं अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के सहयोग से पैरोकरी, नवाचारी अनुसंधान, प्रचार सामग्री तथा प्रशिक्षण जैसी गतिविधियों के माध्यम से विभिन्न योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन तथा लाभुकों तक उन योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहा है.

राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जेंडर रिसोर्ट सेंटर एक ज्ञान प्रबंधन इकाई एवं संसाधन केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है

शैक्षणिक प्रोत्साहन कार्यक्रम

किसी भी समाज या राज्य के विकास की कुंजी शिक्षा है. जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए बच्चियों को शिक्षित करना सर्वोत्तम उपाय हैं.

मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना, मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना, मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना तथा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना के द्वारा बालिकाओं की शिक्षा के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण किया जा रहा है.

लड़कियों में अशिक्षा के सबसे बड़े कारणों में से एक गरीबी है। अभिभावक पोशाक की कमी के कारण लड़कियों को स्कूल नहीं भेजते थे, इसके लिए बिहार सरकार ने मिडिल स्कूल में पढ़ रही बालिकाओं के लिए बालिका पोशाक योजना शुरू की, इससे मध्य विद्यालयों में लड़कियों की संख्या बढ़ी। इसके बाद बिहार सरकार ने 9वीं कक्षा की लड़कियों के लिए बालिका साइकिल योजना की शुरुआत की। पहले पटना में भी लड़कियों को साइकिल चलाते हुए नहीं देखा जाता था, गांव में पहले जब लड़कियां साइकिल चलातीं दिख जाती थीं तो ये कहा जाता था कि लड़की हाथ से निकल गई। आज घर-घर से लड़कियां साइकिल चलाकर स्कूल जाती हैं। अब लोगों की सोच बदल गई, जिससे उनमें प्रसन्नता आई है। जिस समय यह योजना शुरू की गई थी, उस समय 9वीं कक्षा में लड़कियों की संख्या 1 लाख 70 हजार से भी कम थी, जो आज 9 लाख से ज्यादा पहुंच गई है। 

अब लड़कियां मैटिक एवं इंटर में मेरिट के साथ अव्वल आ रही हैं। स्कूलों में मीना मंच और जूडो-कराटे से लड़कियों में आत्मविश्वास जगाने और उन्हें सबल बनाने में कामयाबी मिल रही है।

बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत उच्च शिक्षा हेतु महिला आवेदकों को 1% सरल ब्याज की दर से शिक्षा ऋण की सुविधा दी जा रही है.

महादलित एवं अल्पसंख्यक वर्ग की किशोरियों को हुनर एवं औजार कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी है.

मुख्यमंत्री महिला साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत पोते, पोतियों व बहुओं से अधिक आयु वर्ग की निरक्षर महिलाएं साक्षर बनायी जा रही हैं।

स्वास्थ्य प्रोत्साहन कार्यक्रम

गर्भवती, शिशुवती माताओं को आशा एवं ममता जैसे प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं से स्वास्थ्य संरक्षण प्राप्त हुआ है। वर्ष 2006-07 में सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव हेतु मात्र 4 फीसदी महिलाएं आया करती थीं, जो वर्तमान में बढ़कर 63.8 फीसदी हो गया है। माता मृत्यु दर (एम.एम.आर.) जो वर्ष 2005 में 312 प्रति लाख था, वह वर्ष 2013 में घटकर 208 हो गया है। राज्य में महिलाओं की औसत आयु जो वर्ष 2006 में 61.6 वर्ष थी, 2014 में हुई गणना में बढ़कर 68.4 वर्ष हो गई है। वर्ष 2005 में राज्य में शिशु मृत्यु दर (आई.एम.आर.) 61 प्रति हजार था, जो वर्ष (एस.आर.एस.) 2017 के अनुसार घटकर 38 प्रति हजार हो गया है। बिहार में नियमित टीकाकरण वर्ष 2005 में 18.6 फीसदी से बढ़कर 2016-17 में 84 फीसदी हो गया है।

कामकाजी महिला छात्रावास

मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के अंतर्गत राज्य के पांच प्रमंडलीय मुख्यालय यथा – पटना, गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा एवं भागलपुर में कामकाजी महिला छात्रावास की स्थापना की जानी है. इसके लिए सरकार का अनुमोदन प्राप्त है. इसका उद्देश्य कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराना है ताकि वे अपने घर परिवार से दूर रहकर आर्थिक उपार्जन कर आत्मनिर्भर हो सकें.

उद्यमिता विकास कार्यक्रम

महिलाओं के समग्र सशक्तिकरण एवं गरीबी उन्मूलन पर आधारित उद्यमिता विकास कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य की महिलाओं को कुशल उद्यमियों के रूप में विकसित करना है. इस हेतु महिला विकास निगम द्वारा महिला उद्यमियों का उद्यमिता विकास एवं प्रबंधन, ई-मार्केट प्लेस, जीएसटी, विपणन आदि में प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहयोग के साथ-साथ महिलाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप उद्यम को स्थापित/ विकसित करने हेतु वित्तीय संस्थानों से अनुदान/ ऋण हेतु परामर्श प्रदान किया जा रहा है.

वन स्टॉप सेंटर महिला हेल्पलाइन

केंद्र संपोषित वन स्टॉप सेंटर योजना के तहत हिंसा से पीड़ित महिलाओं को चिकित्सीय, विधिक परामर्श, मनो-सामाजिक परामर्श, पुलिस की सहायता एवं अल्प आश्रय आदि की सुविधा एक छत के नीचे प्रदान की जाती है. बिहार में इसे महिला हेल्पलाइन के साथ समेकित कर सभी जिलों में संचालित किया जाता है.

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना

इस योजना के अंतर्गत गरीब परिवार की कन्याओं के विवाह में ₹5000 की सहायता दी जाती  है

महिला विशेष कोषांग

यह बिहार राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के लिए नया पहल है. महिला विशेष कोषांग के तहत पुलिस थानों में महिलाओं के लिए विशेष कक्ष स्थापित किए गए हैं जिसमें प्रशिक्षित महिला परामर्शीयों को नियुक्त किया गया है. महिला परामर्शी पीड़ित के लिए प्रथम संपर्क बिंदु के रूप में आवश्यक सहायता उपलब्ध कराती है. यह महिला विशेष कोषांग संकटग्रस्त महिलाओं उनके परिवारों एवं समुदाय तक पहुंच बनाता है ताकि कोषांग की सहायता से घरेलू हिंसा के मामलों में कमी आ सके.

किशोर/ किशोरी समूह का गठन

राज्य के महादलित टोला में महिला विकास निगम के द्वारा किशोर एवं किशोरियों के समूह का गठन किया गया है जिसका उद्देश्य निम्नवत है

  • किशोर एवं  किशोरियों में नेतृत्व आत्मविश्वास जागरूकता और क्षमता विकास करना जिससे वह वास्तविक एवं सामाजिक परिस्थितियों का सामना करके उनका व्यावहारिक हल ढूंढ सके
  • बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के दुष्परिणामों एवं इसके कानूनी प्रावधानों से अपने परिवार एवं टोलों के लोगों को जागरुक करना
  • सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने में सहयोगी बन सके
  • किशोर/ किशोरी के लिए सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी से अपने क्षेत्र के लोगों को अवगत कराना एवं उन योजनाओं से जुड़ाव कराने में सहयोग करना

कौशल विकास कार्यक्रम

राज्य सरकार द्वारा पूरे राज्य में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु विभिन्न क्षेत्रों यथा नर्सिंग, ब्यूटी थेरेपी, सिलाई, घरेलू स्वास्थ सहायक, कंप्यूटर ज्ञान, हैंड एंब्रायडरी आदि में कौशल विकास प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट की व्यवस्था की जाती है ताकि वह भी पुरुषों के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकें

महावारी स्वच्छता कार्यक्रम

बिहार में स्वच्छता के बारे में किशोरियों एवं महिलाओं के बीच जागरूकता बढ़ाने एवं व्यवहार परिवर्तन के उद्देश्य से इस परियोजना की शुरुआत की गई है. योजना के अंतर्गत माहवारी स्वच्छता के बारे में विशेष जागरूकता अभियान एवं सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम, महावारी स्वच्छता प्रेरक तैयार करने, सुरक्षित सेनेटरी पैड की सहज एवं सुलभ उपलब्धता सुनिश्चित करने, विद्यालय, महाविद्यालयों, सार्वजनिक स्थानों पर सेनेटरी नैपकिन की वेंडिंग मशीनों एवं इनसीनेटर का अधिष्ठापन सुनिश्चित करेंगे.

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के अंतर्गत वर्ग सात से बारहवीं तक के सभी सरकारी विद्यालयों की छात्राओं को ₹300 वार्षिक प्रोत्साहन राशि माहवारी स्वच्छता प्रबंधन हेतु उपलब्ध कराई जाती है

महिला हेल्पलाइन नंबर

हिंसा से पीड़ित महिलाओं को 181 कॉल फ्री महिला हेल्पलाइन से 24×7 परामर्श एवं रेफरल सेवाएं प्रदान की जाती है तथा महिलाओं से संबंधित विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी दी जाती है

मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना

 इसके माध्यम से किशोरियों व महिलाओं में सकारात्मक सोच में बदलाव लाने एवं व्यक्तिगत विकास के अलावा उनकी प्रतिभा के समुचित विकास पर फोकस किया जा रहा है।

जेंडर संवेदीकरण कार्यक्रम से युवाओं से संवाद स्थापित करना और उनमें व्यक्तित्व विकास एवं प्रतिभा खोज करना बेहद आसान किया जा रहा है।