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[सिलेबस] भूगोल (वैकल्पिक विषय)

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[सिलेबस] भूगोल (वैकल्पिक विषय)

बिहार लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम – भूगोल (वैकल्पिक विषय)

खण्ड- I (Section – I)

भूगोल का सिद्धान्त (Theory of Geography)

भाग ‘‘क’’ (Part – A) भौतिक भूगोल (Physical Geography)

1. भू-आकृति विज्ञान- भू पटल का उद्गम तथा विकास भू-संचलन तथा प्लेट विवर्तनिकी, ज्वालामुखी क्रिया अपरदन चक्र- डेविस तथा पेंक नदीय, हिमनदीय शुष्क तथा कास्र्ट भू-आकृतियाँ, पुर्नयवनित तथा बहुचक्रीय भू-आकृतियाँ।

2. जलवायु विज्ञान- वायु मंडल, इसकी संरचना तथा संयोजन, वायु राशियां, वाताग्र चक्रवात तथा सम्बद्ध परिघटनाएँ- जलवायु वर्गीकरण, कोपेन तथा थान्र्थवेट, भूतलजल, जलचक्र तथा जल वैज्ञानिक चक्र।

3. मृदायें तथा वनस्पति- मृदा उत्पत्ति वर्गीकरण तथा वितरण, सवाना तथा मानसुन वन जीवोमों के पारिस्थितिक पहलू।

4. महासागरीय विज्ञान- महासागर तल, उच्चावच भारतीय महासागरीय तल का उच्चावच, लवणता, धाराएँ तथा ज्वार, समुद्र निक्षेप तथा मूंग चट्टानें।

5. पारिस्थितिक तंत्र – पारिस्थिति-तंत्र की संकल्पना, पारिस्थितिक तंत्र पर मनुष्य का संघात, विश्व की पारिस्थिति का असंतुलन।

भाग ‘‘ख‘’ (Part – B) मानव तथा आर्थिक भूगोल (Human and Economic Geography)

1. भौगोलिक चिन्तन का विकास- यूरोपीय तथा ब्रिटिश भूगोलविदों का योगदान, नियतिवाद तथा सम्भववाद, भूगोल में द्वैतवाद मात्रात्मक तथा व्यवहारात्मक क्रांतियाँ।

2. मानव भूगोल- मानव तथा मानव प्रजातियों का आविर्भाव, मानव का संास्कृतिक विकास, विश्व के प्रमुख सांस्कृतिक परिमंडल, अंतर्राष्ट्रीय प्रव्रजन, अतीत और वर्तमान, विश्व की जनसंख्या का वितरण तथा वृद्धि, जन-सांख्यिकीय संक्रमण तथा विश्व जनसंख्या की समस्याएँ।

3. बस्ती भूगोल- ग्रामीण तथा नगरीय बस्तियों की संकल्पना, नगरीकरण का उद्भव- ग्रामीण बस्ती के प्रतिरूप, नगरीय वर्गीकरण-नगरीय प्रभाव के क्षेत्र तथा ग्रामीण नगरीय सीमान्त, नगरों की आन्तरिक संरचना, विश्व में नगरीय वृद्धि की समस्याएँ।

4. राजनीतिक भूगोल- राष्ट्र और राज्य की संकल्पनाएँ, सीमान्त, सीमाएँ तथा वफर क्षेत्र, केन्द्र स्थल तथा उपान्त स्थल की संकल्पना, संघवाद।

5. आर्थिक भूगोल- विश्व का आर्थिक विकास- मापन तथा समस्याएँ, संसाधन की संकल्पना, विश्व संसाधन उनका वितरण तथा विश्व समस्याएँ, विश्व ऊर्जा संकट, अभिवृद्धि की सीमाएँ, विश्व कृषि- प्रारूप विज्ञान तथा विश्व के कृषि क्षेत्र, कृषि अवस्थिति का सिद्धांत, विश्व उद्योग-उद्योगों की अवस्थिति का सिद्वान्त, विश्व औद्योगिक नमूने तथा समस्याएँ, विश्व व्यापार सिद्धान्त तथा विश्व के प्रतिरूप।

खण्ड- II (Section – II)

भारत का भूगोल (Geography of India)

भौतिक पहलू- भू वैज्ञानिक इतिहास, भू-आकृति और अपवाह तंत्र, भारतीय मानसून का उद्गम और क्रिया विधि, मुद्रा और वनस्पति।

मानवीय पहलू- आदिवासी क्षेत्र तथा उनकी समस्याएँ, जनंसख्या वितरण, संघनता और वृद्धि, जनंसख्या की समस्याएँ तथा नीतियाँ।

संसाधन- भूमि खनिज, जल जीवीय और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग।

कृषि- सिंचाई, फसलों की गहनता, फसलों का संयोजन, हरित क्रांति, भूमि उपयोग सम्बन्धी नीति, ग्रामीण अर्थ व्यवस्था-पशुपालन, सामाजिक वानिकी और घरेलू उद्योग।

उद्योग- औद्योगिक विकास का इतिहास, स्थानीकरण कारक, खनिज आधारित, कृषि आधारित तथा वन आधारित उद्योगों का अध्ययन, औद्योगिक संकुल और औद्योगिक क्षेत्रीयकरण।

परिवहन और व्यापार- सड़कों, रेलमार्गां तथा जलमार्गों की व्यवस्था का अध्ययन, अन्तः तथा अंतरक्षेत्रीय व्यापार तथा गाँव के बाजार केन्द्रों की भूमिका।

बस्तियाँ- ग्रामीण बस्तियों का प्रतिरूप, भारत मंे नगरीय विकास तथा उनकी समस्याएँ, भारतीय नगरों की आंतरिक संरचना, नगर आयोजन, गन्दी बस्तियाँ तथा नगरीय आवास, राष्ट्रीय नगरीकरण नीति।

क्षेत्रीय विकास तथा आयोजन- भारत की पंचवर्षीय योजना, बहुस्तरीय आयोजन, राज्य जिला तथा प्रखंड स्तरीय आयोजन, भारत में विकास के संबंध में क्षेत्रीय असमानताएँ।

राजनैतिक पहलू – भारत की राजनैतिक समस्याएँ, राज्य पुनर्गठन, भारत की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा तथा सम्बद्ध मामले। भारत तथा हिन्द महासागर क्षेत्र की भू-राजनीति।

बिहार के भूगोल का निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत अध्ययन, प्राकृतिक विभाग, मिट्टियाँ, वन, जलवायु, कृषि का प्रतिरूप, सूखा और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों की समस्याएँ और समाधान, प्रमुख खनिज संसाधन- लोहा, ताम्बा, बाक्साइट, अबरख और कोयला, प्रमुख उद्योग- लोहा-इस्पात, एल्युमुनियम, सीमेन्ट, चीनी, प्रमुख औद्योगिक प्रदेश, बिहार की जनंसख्या की समस्या, जन-जातियों की समस्याएँ और उनका समाधान, बिहार में नगरीकरण का प्रतिरूप।