Home बिहार के अखबारों में ‘उनका काटना-सिलना पता चल रहा था…’ बेहोश किए बिना नसबंदी को याद कर कांप उठती हैं महिलाएं

‘उनका काटना-सिलना पता चल रहा था…’ बेहोश किए बिना नसबंदी को याद कर कांप उठती हैं महिलाएं

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‘उनका काटना-सिलना पता चल रहा था…’ बेहोश किए बिना नसबंदी को याद कर कांप उठती हैं महिलाएं

बिहार के खगड़िया जिले के अलौली ब्लॉक में पिछले महीने बिना एनेस्थीसिया के 24 महिलाओं की नसबंदी करने का एक भयावह मामला सामने आया है. दयामणि उन 24 ग्रामीण महिलाओं में शामिल हैं, जिन्होंने पिछले महीने अलौली ब्लॉक में बिना एनेस्थीसिया के नसबंदी करवाई थी. उस भयावह मंजर को याद करके उनकी रूह कांप जाती है. पूरे ऑपरेशन के दौरान वे होश में थीं और ऑपरेशन टेबल पर दर्द से कराह रही थीं. जिन महिलाओं को नसबंदी ऑपरेशन किया गया उनमें ज्यादातर के पहले से ही तीन से पांच बच्चे थे.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक इस घटना के सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने जांच का आदेश दिया है. लेकिन अभी तक इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है. एक स्वास्थ्य अधिकारी ने दावा किया कि महिलाओं की नसबंदी के दौरान एनेस्थीसिया का इस्तेमाल किया गया था. लेकिन संभवतः इसने कुछ महिलाओं पर काम नहीं किया क्योंकि हर व्यक्ति के शरीर का तंत्र अलग होता है. बहरहाल इस हादसे के बाद अलौली के बुढ़वा-हरिपुर की धूल भरी गलियों में अपने घर पर दयामणि भी इस क्रूरता का शिकार हुई अधिकांश महिलाओं की तरह ही इसे एक हादसा मानकर भूल जाना चाहती हैं.

अलौली ब्लॉक में नसबंदी कराने वाली अधिकांश महिलाओं के पति गरीब प्रवासी मजदूर हैं और उनके पास संसाधनों की कमी थी. दयामणि को साफ तौर से याद है कि कैसे वह दो बार डरावने हालात से गुजरीं. पहली बार डॉक्टरों ने कथित तौर पर एक असफल सर्जरी की और फिर एक नौसिखिए को कट पर टांके लगाने के लिए कहा. तेज दर्द की शिकायत के बाद उस नौसिखिये को हटाया गया. जबकि 26 साल की पूजा कुमारी तो केवल सर्जरी के नाम से ही सिहर उठती हैं. घावों से उबर रही पूजा ने कहा कि वे पूरी तरह से होश में थीं. वे काटने और सिलाई का दर्द महसूस करने के बावजूद बेबस थीं.

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