बिहार के किसी भी जिले में आपराधिक घटनाओं के बाद यह देखा जाएगा कि पुलिस की गश्ती कितनी देर बाद घटनास्थल पर पहुंची। इसके लिए जीपीएस युक्त गश्ती वाहनों की ट्रैकिंग की जाएगी। गश्ती में लापरवाही करने वाले पुलिस पदाधिकारियों व कर्मियों को न केवल सजा दी जाएगी बल्कि प्रशिक्षण भी दिया जाएगा कि उन्होंने कहां गलती की। इसी तरह पैदल गश्ती करने वाले दल की भी मानीटरिंग की जाए और बार-बार गड़बड़ी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने मंगलवार को डीजीपी एसके सिंघल की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग से ली जा रही जिलों के वरीय पुलिस पदाधिकारियों की बैठक में यह निर्देश दिया।
वारंट रजिस्टर अपडेट नहीं होने पर नपेंगे थानेदार
सभी जिलों के एसपी को हिदायत दी गई कि थानों में वारंट रजिस्टर अपडेट रखी जाए। थानाध्यक्षों को इस बाबत स्पष्ट निर्देश जारी किया जाए। वारंट रजिस्टर अपडेट न रखने वाले थानाध्यक्षों पर कार्रवाई भी की जाए। इसके अलावा स्पीडी ट्रायल में तेजी बरकरार रखते हुए लंबित कांडों के निष्पादन पर विशेष ध्यान दिया जाए। एडीजी मुख्यालय ने पटना की तरह सभी एसएसपी व एसपी को जिला स्तर पर मीडिया केंद्र स्थापित करने भी निर्देश दिया।
कानून के तहत ही कार्रवाई करें पुलिस अफसर : डीजीपी
डीजीपी एसके सिंघल ने सभी क्षेत्रीय पुलिस पदाधिकारियों को नियम और कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप ही कार्रवाई करने का निर्देश दिया। कहा कि इसमें जहां भी कठिनाई जाए तो इस संबंध में कानूनी सलाह ली जाए। अनुशासनिक कार्रवाई करते समय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का हमेशा ख्याल रखना चाहिए। विभागीय कार्रवाई के आरोपित पदाधिकारियों व कर्मियों को अपना पक्ष रखने का मौका भी दिया जाए ताकि कार्रवाई पक्षपातपूर्ण न दिखे।
थाना भवन के लिए समतल व सुगम स्थलों का करें चयन
बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के डीजी सह महानिदेशक विनय कुमार ने जिलों के पुलिस अफसरों को निर्देश दिया कि थाना के भवन निर्माण के लिए स्थल चयन समतल हो। जमीन की लंबाई-चौड़ाई पर्याप्त हो, साथ ही पहुंच स्थल भी सुगम हो। जहां भवन निर्माण हो चुका है, वहां उसका तत्काल अधिग्रहण किया जाए। भवन निर्माण के दौरान गुणवत्ता का भी ख्याल रखें। खासकर नींव एवं छत की ढलाई के समय थानाध्यक्ष और वरीय पदाधिकारी खुद निगरानी करें। सीआइडी के एडीजी जितेंद्र कुमार ने हत्या, डकैती, लूट एवं दंगा के कांडों की वृहद समीक्षा की और बताया कि पिछले साल की तुलना में इसमें कमी आई है। कार्तिक महीने में लगने वाले सोनपुर मेले में अपराध निरोध प्रदर्शनी के आयोजन पर भी विचार-विमर्श हुआ।