BJP Foundation Day 2022: बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) आज नंबर वन पार्टी है। बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में यह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। शून्य से आरंभ होकर सबको पीछे छोड़ने तक का यह सफर चार दशकों का है। इस दौरान प्रदेश में बीजेपी की कमान कैलाशपति मिश्रा, इंदरसिंह नामधारी और ताराकांत झा से लेकर संजय जायसवाल तक कई बड़े नेताओं ने हाथों में रही। उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (JDU) समेत विभिन्न दलों के साथ राष्ट्रीय गणतांत्रिक गठबंधन (NDA) कर इस यात्रा को लगातार आगे बढ़ाया है।
1980 में पार्टी ने लड़ा पहला चुनाव, 21 जीते
बीजेपी ने बिहार में सबसे पहला विधानसभा चुनाव 1980 में लड़ा था। इसी वर्ष छह अप्रैल को बीजेपी की स्थापना भी हुई थी। संयुक्त बिहार की 324 सीटों में से 246 सीटों पर लड़ते हुए पार्टी ने कुल 8.41 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे एवं उसके 21 विधायक जीतकर आए थे। पहली बार बीजेपी बिहार में चौथे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आई। अगले ही चुनाव में वर्ष 1985 में 234 सीटों पर लड़कर बीजेपी ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में जबर्दस्त लहर के चलते बीजेपी की औसत सफलता में गिरावट आई। विधायकों की संख्या और वोट दोनों में कमी आई, लेकिन इसने 1990 से फिर रफ्तार पकड़ी। तब इंदर सिंह नामधारी प्रदेश अध्यक्ष थे। पार्टी ने 337 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और विधायकों की संख्या 39 तक पहुंच गई।
1995 में मिली मुख्य विपक्षी दल की भूमिका
बिहार में बीजेपी को पहली बार उल्लेखनीय सफलता 1995 में तब मिली, जब कैलाशपति मिश्र के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव हुए। पार्टी के 315 प्रत्याशियों में 41 जीतकर आए। कांग्रेस का आंकड़ा 29 से आगे नहीं बढ़ पाया। इस तरह बीजेपी लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ जनता दल के सामने मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में आ गई। यशवंत सिन्हा को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।
साल 1996 में नीतीश कुमार से हुआ गठबंधन
साल 1995 के चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली समता पार्टी को 310 सीटों पर लड़ने के बावजूद केवल सात विधायकों से हीं संतोष करना पड़ा था। किंतु अगले ही वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की समता पार्टी के साथ बीजेपी ने गठबंधन किया। 2000 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने नंबर दो की कुर्सी बरकरार रखी। समता के साथ गठबंधन के तहत उसने 168 सीटों पर चुनाव लड़कर 67 जीते। चुनाव के तुरंत बाद अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ और बिहार विधानसभा की सीटें 243 रह गईं।
2015 के चुनाव में जेडीयू से हो गया था अलगाव
आगे 2005 के विधानसभा चुनाव से एक वर्ष पहले समता का जनता दल यूनाइटेड में विलय हो गया। इस वर्ष दो चुनाव हुए। फरवरी के चुनाव में जेडीयू के विधायकों की संख्या 55 हो गई और वह 37 विधायकों वाली बीजेपी से आगे निकलकर बड़े भाई की भूमिका में आ गया। नवंबर 2005 में भी बीजेपी 55 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई। हालांकि, 2010 में बीजेपी को 102 सीटों पर लड़कर 91 पर जीत मिली, मगर तब भी जेडीयू के बाद नंबर दो की पार्टी ही रही। साल 2015 में जेडीयू से अलग होकर भी बीजेपी नंबर तीन पर ही बरकरार रही।
बीजेपी अब विधानसभा में बनीं सबसे बड़ी पार्टी
आगे साल 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 74 सीटों पर जीत मिली। हालांकि, विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को मिली 75 सीटों के बाद वह नंबर दो पर ही रही। लेकिन मार्च 2022 के नाटकीय घटनाक्रम में एनडीए में शामिल मुकेश सहनी की विकासशील इनसान पार्टी के सभी तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद अब बीजेपी बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।
बिहार बीजेपी का 22 साल का सफर, एक नजर
वर्ष मुकाबला जीत वोट (प्रतिशत)
1980 246 21 8.41
1985 234 16 7.54
1990 337 39 11.61
1995 315 41 12.96
2000 168 67 14.64
2005 103 37 10.97
2005 102 55 15.65
2010 102 91 16.49
2015 157 53 24.42
2020 110 74 19.46