भागलपुर जिला के नौगछिया अनुमंडल में जयरामपुर के निकट कोसी नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित गुवारीडीह के प्राचीन 25 फीट ऊंचे टीले के खुदाई से 2500 साल से ज्यादा पुराने अवशेष मिलें हैं. गांव में जो अवशेष मिले हैं, वे काफी ऐतिहासिक हैं।
जो प्रारंभिक अवशेष मिले हैं, इससे प्रतीत होता है कि यह इलाका काफी पुराना और ऐतिहासिक है। यहां पहले बड़ी आबादी रही होगी। जो काफी वर्षों पुरानी सभ्यता का प्रतीक है। इसके बारे में कहा गया है कि करीब ढाई हजार साल पुरानी सभ्यता का प्रतीक है, लेकिन यह जांच का विषय है। अंदाजा लगाया जा रहा है उससे भी पुरानी सभ्यता के यह अवशेष हों। इलाके में इसके लिए खुदाई कराई जाएगी। खुदाई के बाद ही जानकारी मिलेगी कि इस ऐतिहासिक स्थल का क्षेत्र कहां तक फैला हुआ है।
क्या मिला है गुवारीडीह टिले में
- बड़ी संख्या में तकरीबन पांच हजार वर्ष पुराने ताम्र पाषाणकालीन युग तथा 2500 वर्ष पुराने बुद्धकालीन पुरावशेष मिले हैं.
- 1000 ईसा पूर्व से लेकर 12वीं शताब्दी के बर्तन के टुकड़े, ताम्र धातु के टुकड़े, गोपन गुल्ला, सिल्ला लोढी, हैंडल युक्त बर्तन, चौड़े आकार की टेराकोटा की मूर्तियां आदि मिली
- सामग्रियों में पक्की ईंटों की बनी दीवारों की संरचना सहित बहुतायत में एनबीपीडब्ल्यू संस्कृति से जुड़े अनेकों रंगों वाले मृदभांड, कृषि कार्य में प्रयुक्त होनेवाले लौह-उपकरण एवं औजार, मवेशियों के जीवाश्म, मानवनिर्मित पाषाण उपकरण तथा औजार सहित विभिन्न संस्कृति वाले मिट्टी से बने बर्तन भी प्राप्त हुए हैं.
- उत्खनन के दौरान लगातार प्राचीन अवशेष मिल रहे हैं।
- संरक्षण के लिए गांव में मिले टीले को कटाव से बचाने के लिए कोसी की धार को भी मोड़ने के लिए प्रोजेक्ट बनाने का निर्देश संबंधित विभाग को दिया गया है।
- प्रतीत होता है कि यह इलाका काफी पुराना और ऐतिहासिक है। यहां पहले बड़ी आबादी रही होगी। जो काफी वर्षों पुरानी सभ्यता का प्रतीक है
- इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा
बांका जिले में भी पौराणिक अवशेषों का मिलना
- बांका जिले के अमरपुर प्रखंड के भदरिया गांव में भी छठ पर्व के मौके पर घाट बनाए जाने के क्रम में चांदन नदी में भवनों के अवशेष मिले.
- पिछले दिनों बिहार पुरातात्विक विभाग की टीम ने कई चरणों उसकी खुदाई व अवलोकन कर पहली नजर में उसके कुषाण कालीन होने की घोषणा की थी।
- बांका जिले के अमरपुर प्रखंड का भदरिया गांव बौद्व सर्किट का हिस्सा बन सकता है। यहां मिला अवशेष राजगीर से मिलता जुलता है। यहां मिला अवशेष 2600 वर्ष पुराना लग रहा है।