आधुनिक दासता शोषण की उन स्थितियों को संदर्भित करती है जिसमें कोई व्यक्ति धमकी, हिंसा, उत्पीड़न, छल या प्राधिकार के दुरुपयोग के कारण बाहर नहीं निकल पाता है. ग्रेस फॉरेस्ट ने कहा कि जहां एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का आर्थिक या स्वंय के लाभ के लिए शोषण करता हो और किसी की स्वतंत्रता को चरणबद्ध तरीके से खत्म करता हो। इसे वॉक फ्री एंटी-स्लेवरी ऑर्गनाइजेशन ने आधुनिक दासता की परिभाषा माना है.
हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार संपूर्ण विश्व में 130 में एक महिला आधुनिक दासता के तहत जीवन जी रही है. रिपोर्ट के अनुसार, यौन शोषण के सभी पीड़ितों में से 99% महिलाएँ हैं, इसी प्रकार ज़बरन विवाह और बंधुआ मज़दूरी के पीड़ितों में क्रमशः 84% व 58% महिलाएँ ही हैं. दुनियाभर में दो करोड़ 90 लाख महिलाएं आज भी आधुनिक दासता का शिकार हैं. आधुनिक दासता की शिकार महिलाओं का आंकड़ा वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या से भी अधिक है. वहीं अगर भारत की बात करें तो वैश्विक दासता सूचकांक 2016 के अनुसार भारत में 80 लाख लोग दासता से ग्रसित हैं.
भारत में आधुनिक दासता कई रूपों में प्रचलित है, जैसे- बंधुआ मज़दूरी, घरेलू नौकर, आर्थिक उपार्जन के लिये वेश्यावृत्ति, बलात् भिक्षावृत्ति, जबरन विवाह के अतिरिक्त नक्सलवादी व उग्रवादी के रूप में सशस्त्र सेवाओं में जबरन भर्ती आदि.
आधुनिक दासता अथवा समकालीन दासता के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक हैं –
- प्रभावी कानून प्रवर्तन प्रणाली की कमी
- अभावग्रस्त परिस्थितियां
- सीमांत समूह जैसे महिला, बच्चे, अल्पसंख्यकों का सुभेद्य होना
- महामारी जैसी मौसमी घटना जिससे रोजगार के अवसरों में कमी हो जाती है
- इसके अलावा कई बार राज्य द्वारा आरोपित बलात श्रम आदि भी दासता को बढ़ावा देते हैं जैसे सैन्य कर्मियों से सैन्य कार्यों से हटकर कार्य लेना
हालांकि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दासता के उन्मूलन के लिए विभिन्न प्रयास जैसे न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, काम के निर्धारित घंटे, बलात श्रम का निषेध जैसे उपाय किए गए हैं किंतु इसके पूर्ण उन्मूलन के लिए अभी और उपाय किए जाते रहने चाहिए.
आधुनिक दासता के उन्मूलन के उपाय
- भारत में आधुनिक दासता के कारणों में गरीबी सबसे प्रमुख है. आँकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 21 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रही है. इस तरह गरीबी निवारण कार्यक्रमों का सुदृढ़ संचालन हो तो इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है.
- आपराधिक न्याय प्रणाली को सुदृढ़ करना
- बंधुआ मज़दूरी व बाल मज़दूरी को रोकने के कानूनी रक्षोपायों को मजबूत बनाना
- राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वीजा, निर्वासन आदि कानूनों की समीक्षा करना तथा उन्हें और दृढ़ता प्रदान करना
- समन्वय एवं जवाबदेही को बढ़ावा देना
- विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागरूक करना
- श्रमिकों एवं महिलाओं के लिए उचित अवसंरचना विकास करना
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में विकास गतिविधियों को बढ़ावा देकर बच्चों व महिलाओं की सशस्त्र सेनाओं में जबरन भर्ती को रोका जा सकता है
- गरीबी, गहरी सामाजिक विषमता जैसे- लिंग भेद, जातिगत भेदभाव, धार्मिक भेदभाव आदि के साथ मज़दूर आधारित अर्थव्यवस्था का अनौपचारिक होना सुभेद्यता और आधुनिक दासता की घटना को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. इस तरह अनौपचारिक क्षेत्र को व्यवस्थित ढाँचे में लाकर आधुनिक गुलामी से मुक्ति की राह आसान हो सकती है
- महिलाओं की शिक्षा तक पहुँच में सुधार
- लड़कियों को आर्थिक और व्यावसायिक अवसर प्रदान करना
- लिंग-पक्षपात से जुड़े नज़रिये को बदलने के लिये समुदाय के साथ कार्य करना
भारत सरकार के प्रयास
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम
- प्रधानमंत्री जन धन योजना
- कार्यस्थलों पर महिलाओं के शोषण को रोकने के लिये विशाखा दिशा-निर्देशों (Vishaka Guidelines)
- बाल यौन अपराध संरक्षण कानून 2012 (पोक्सो)