बुधवार, दिसम्बर 6, 2023
होमवैकल्पिक विषयराजनीति विज्ञान तथा अन्तर्राष्ट्रीय संबंध राजनीति विज्ञान तथा अन्तर्राष्ट्रीय संबंध (वैकल्पिक विषय)

[सिलेबस] राजनीति विज्ञान तथा अन्तर्राष्ट्रीय संबंध (वैकल्पिक विषय)

बिहार लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम – राजनीति विज्ञान तथा अन्तर्राष्ट्रीय संबंध (वैकल्पिक विषय)

खण्ड- I (Section – I)

भाग ‘‘क’’ (Part – A)

राजनीतिक सिद्धान्त

  1. प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ, मनु और कौटिल्य प्राचीन यूनानी विचारधारा प्लैटो, अरस्तू, युरोपीय मध्ययुगीन राजनीतिक विचारधारा की सामान्य विशेषताएँ, सेंट थौमस एक्विनास, पादुवा के मार्सिग्लियो, मकावेली, हॉब्स, लॉक, मोन्टस्क्यू, रोएसो, बैन्थम, जे॰एस॰ मिल, टी॰एच॰ ग्रीन, हेगल, माक्र्स, लेनिन, और माउत्सेत्तुंग।
  2. राजनीति विज्ञान का स्वरूप और विषय क्षेत्र, एक ज्ञान विधा के रूप में राजनीति विज्ञान का आविर्भाव, परम्परागत बनाम समसामयिक उपागम, व्यवहारबाद और व्यवहारवादोतर गतिविधि, राजनीतिक विश्लेषण के
    प्रणाली सिद्धान्त और अन्य अभिनव दृष्टिकोण, राजनीतिक विश्लेषण के प्रति माक्र्सवादी दृष्टिकोण।
  3. आधुनिक राज्य का आविर्भाव और स्वरूप प्रभुसत्ता, प्रभुसत्ता का एकात्मकवादी और बहुलवादी विश्लेषण, शक्ति प्राधिकार और वैद्य।
  4. राजनीतिक बाध्यता प्रतिरोध और क्रांति अधिकार, स्वतंत्रता समानता, न्याय।
  5. प्रजातंत्र के सिद्धान्त।
  6. उदारवाद विकासात्मक समाजवाद (प्रजातांत्रिक एवं फेबियन), माक्र्स समाजवाद, फासिज्म।

भाग ‘‘ख’’ (Part – A)

भारत के विशेष सन्दर्भ में सरकार और राजनीति

  1. तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन के प्रति दृष्टिकोण: परम्परागत संरचनात्मक कार्यात्मक दृष्टिकोण।
  2. राजनैतिक संस्थाएँ, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, दल तथा दबाव गुट, दलीय प्रणाली के सिद्धान्त, लेनिन, माईकल्स और डुवर्गर, निर्वाचन प्रणाली, नौकरशाही – वेबर का दृष्टिकोण और वेबर पर आधुनिक समीक्षा।
  3. राजनीतिक प्रक्रिया- राजनीतिक, समाजीकरण, आधुनिकीकरण तथा संपे्रषण, अपाश्चत्य राजनीतिक प्रक्रिया का स्वरूप, अफ्रीकी एशियायी समाज को प्रभावित करने वाली संविधानिक और राजनीतिक समस्याओं का सामान्य अध्ययन।
  4. भारत राजनीतिक प्रणाली

(क) मूल भारत में उपनिवेशवाद और राष्ट्रवाद, आधुनिक भारतीय सामाजिक और राजनीतिक विचारधारा का सामान्य अध्ययन। राजा राम मोहन राय, दादा भाई नौरोजी, तिलक, अरविन्द, एकबाल, जिन्ना, गांधी, बी॰आर॰ अम्बेदकर, एम॰एन॰ राय, नेहरू, जयप्रकाश नारायण।

(ख) संरचना- भारतीय संविधान, मूल अधिकार और नीति निदेशक तत्व, संघ सरकार, संसद, मंत्रिमण्डल, उच्चतम न्यायालय और न्यायिक पुनरीक्षा, भारतीय संघवाद, केन्द्र राज्य संबंध, सरकार-राज्यपाल की भूमिका पंचायती राज-बिहार में पंचायती राज।

(ग) कार्य- भारतीय राजनीति में वर्ग और जाति, क्षेत्रवाद, भाषावाद, और साम्प्रदायिकतावाद की राजनीति राजतंत्र के धर्म निरपेक्षीकरण और राष्ट्रीय एकता की समस्याएँ, राजनीतिक अभिजात्य वर्ग, बदलती हुई संरचना, राजनीतिक दल तथा राजनीतिक भागीदारी योजना और विश्वास, प्रशासन सामाजिक आर्थिक परिवर्तन और भारतीय लोकतंत्र पर इसका प्रभाव, क्षेत्रवाद, झारखण्ड आन्दोलन के विशेष सन्दर्भ में।

खण्ड- II (Section – II)

भाग- 1 (Part – 1)

  1. प्रभुसत्ता सम्पन्न राज्य प्रणाली के स्वरूप तथा कार्य।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की संकल्पनाएँ, शक्ति राष्ट्रीय हित, शक्ति संतुलन ‘‘शक्ति रिक्तता।’’
  3. अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के सिद्धान्त, यथार्थवादी सिद्धांत, प्रणाली सिद्धांत एवम् नियंत्रण सिद्धांत।
  4. विदेश नीति में निर्धारक तत्व राष्ट्रीय हित विचारधारा, राष्ट्रीय शक्ति तत्व (देशीय सामाजिक-राजनीतिक संस्थाओं के स्वरूप सहित)।
  5. विदेश नीति का चयन- साम्राज्यवाद, शक्ति संतुलन, समझौते, अलगाववाद, राष्ट्रपरक सार्वभौतिकतावाद (ब्रिटेन द्वारा स्थापित शान्ति, अमेरिका द्वारा स्थापित शक्ति, रूस द्वारा स्थापित शान्ति, चीन का मिडिल किंगडम परिकल्पना, गुट निरपेक्षता)।
  6. शीत युद्ध, उद्गम विकास और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों पर इसका प्रभाव, तनाव शैथिल्य और इसका प्रभाव तथा नया शीत युद्ध।
  7. गुट निरपेक्षता, अर्थ आधार (राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय) गुट निरपेक्षता आन्दोलन और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में इसकी भूमिका।
  8. निरूपनिवेशिता और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का प्रसार, नवोनिवेशिता तथा जातिवाद, उनका अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों पर प्रभाव, एशियाई अफ्रीकी पुनरूत्थान।
  9. वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था, सहायता, व्यापार तथा आर्थिक विकास, नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था के लिये संघर्ष, प्राकृतिक साधनों पर प्रभुता, उर्जा साधनों का संकट।
  10. अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में अन्तर्राष्ट्रीय निधि की भूमिका, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय।
  11. अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का उद्भव और विकास, संयुक्त राष्ट्र संघ और विशिष्ट अभिकरण, अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में उनकी भूमिका।
  12. क्षेत्रीय संगठन और ओ॰ए॰एस॰, ओ॰ए॰यू॰, अरब लीग, एशियन, ई॰ई॰सी॰, अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में उनकी भूमिका।
  13. शस्त्र स्पर्धा, निरस्त्रीकरण और शस्त्र नियंत्रण, पारम्परिक तथा परमाणवीय शस्त्र, शस्त्रों का व्यापार, अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में तीसरी दुनिया की भूमिका पर इसका प्रभाव।
  14. राजनयिक सिद्धांत और पद्धति।
  15. वाह्य हस्तक्षेप- वैचारिक, राजनीतिक और आर्थिक सांस्कृतिक साम्राज्यवाद, महाशक्तियों द्वारा गुप्त हस्तक्षेप।

भाग- 2 (Part – 2)

  1. परमाणवीय उर्जा का उपयोग और दुरूपयोग, परमाणवीय शस्त्रों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों पर प्रभाव, आंशिक परीक्षण निषेध, संधि, परमाणु शस्त्र प्रसार निरोधक संधि (एन॰पी॰टी॰ शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट) (पी॰एन॰ई॰)।
  2. हिन्द महासागर को शांति क्षेत्र बनाने की समस्याएँ और सम्भावनाएँ।
  3. पश्चिमी एशिया में संघर्षपूर्ण स्थिति।
  4. दक्षिण एशिया में संघर्ष और सहयोग।
  5. महाशक्तियां अमरीका, रूस एवम् चीन की युद्धोत्तर विदेश नीतियाँ, संयुक्त राज्य सोवियत संघ एवम् चीन।
  6. अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में तृतीय विश्व का स्थान। संयुक्त राष्ट्र संघ में और बाहरी मंचों पर उत्तर-दक्षिणी देशों का विचार-विमर्श।
  7. भारत की विदेश नीति और सम्बन्ध, भारत और महाशक्तियाँ, भारत और इसके पड़ोसी, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया एवम् भारत तथा अफ्रीका की समस्याएँ।

भारत की आर्थिक राजनयिकता, भारत और परमाणु अस्त्रों का प्रश्न।

सम्बंधित लेख →

लोकप्रिय

hi_INहिन्दी