बिहार के नगर निकाय चुनावों में अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का फैसला अब इसके लिए गठित विशेष आयोग की रिपोर्ट के आधार पर होगा। अति पिछड़ा वर्ग आयोग जिलों में जाकर पूर्व वार्ड कांउसिलरों से भी आरक्षण से जुड़े मसले पर फीडबैक लेगा। जिला मुख्यालयों में उनसे यह बात होगी कि जब अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण नहीं था, तब उनकी राजनीतिक भागीदारी किस तरह से थी और आरक्षण मिलने के बाद राजनीतिक भागीदारी की स्थिति किस तरह से बढ़ी, इसमें किस तरह का परिवर्तन आया, इसे आयोग की टीम देखेगी।
फीडबैक को भी रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा
अति पिछड़ा वर्ग आयोग को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपनी है। इस बाबत मिली जानकारी के अनुसार आयोग पूर्व में वार्ड कांउसिलर रहे लोगों से बातचीत के बाद जो फीडबैक हासिल करेगा, उसे वह अपनी रिपोर्ट में शामिल करेगा। यह आकलन भी रिपोर्ट का हिस्सा होगा कि अति पिछड़ा वर्ग को जब नगर निकाय चुनावों में आरक्षण दिया गया, तो यह समाज राजनीतिक रूप से किस तरह सशक्त हुआ। कितनी संख्या में अति पिछड़ा वर्ग के लोग आरक्षण के पूर्व नगर निकायों में प्रतिनिधित्व करते थे और आरक्षण के बाद उनकी संख्या कितनी हो गयी।
कुल 114 जातियों के लोगों से होगी बातचीत
बिहार में अति पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों की संख्या 114 है। अलग-अलग जिलों में इनकी मौजूदगी है। अति पिछड़ा वर्ग आयोग की टीम जब जिलों की यात्रा करेगी तो अति पिछड़ा वर्ग की सभी जातियों से बात करेगी। यह आंकड़ा भी जुटाएगी कि किस-किस जाति के लोग किस स्तर पर राजनीतिक व सामाजिक रूप सशक्त हुए हैं।
पहले जिला स्तर पर बनेगी रिपोर्ट
अति पिछड़ा वर्ग आयोग जिलों का दौरा कर जो अपनी रिपोर्ट बनाएगा। उसके तहत पहले जिला स्तर पर रिपोर्ट तैयार होगी। सभी जिलों के रिपोर्ट जब तैयार हो जाएंगे, तब उसका विश्लेषण कर राज्य स्तर पर भी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उसमें जिलों की स्थिति के बारे में भी अलग-अलग खंडों में जिक्र होगा। अति पिछड़ा वर्ग की अलग-अलग क्षेत्रों में मौजूदगी के साथ-साथ यह जिक्र भी विशेष रूप से होगा कि आरक्षण के बाद वह किस तरह से सामाजिक रूप सशक्त हुए हैं।