Homeबिहार के अखबारों मेंमहागठबंधन में टूट! नहीं तो RJD और JDU का विलय? बिहार में जारी सियासी 'विकल्प चर्चा' की कहानी

महागठबंधन में टूट! नहीं तो RJD और JDU का विलय? बिहार में जारी सियासी ‘विकल्प चर्चा’ की कहानी

बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के बाद सियासी घटनाक्रम तेजी से बदले। फिर, सबकुछ अचानक थम सा गया। बिहार विधानसभी की दो सीटों गोपालगंज और मोकामा की चर्चा शुरू हो गई। फिर क्या था ‘हम’ नेता जीतन राम मांझी का बयान हवा में तैरने लगा। उन्होंने नीतीश कुमार के दोबारा पाला बदलने का बयान देकर सियासी पारा गरम कर दिया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा अलग तरह के विकल्प की होने लगी। ये चर्चा राजद और जदयू के विलय के अलावा महागठबंधन में टूट को लेकर भी थी !

जेडीयू और राजद में विलय !
महागठबंधन के बीच चल रहे खींचतान और राजद-जदयू के विलय की चर्चा करें। उससे पहले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के एक सोशल मीडिया पोस्ट को पढ़ते हैं। ललन सिंह ने अपने फेसबुक पर लिखा है,’जनता दल (यूनाइटेड) के 19वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर बिहार और देशभर के कार्यकर्ता साथियों एवं आदरणीय नेता नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को हृदय से बधाई, आभार एवं अनंत शुभकामनाएं। सब मिलकर ‘सामाजिक न्याय के साथ विकास’ की त्वरित गति में बिहार को विकसित प्रदेश बनाकर रहेंगे। आप इस पोस्ट को ध्यान से देखिए और ‘सामाजिक न्याय के साथ विकास’ वाली लाइन पर जोर दीजिए। आपको तुरंत याद आ जाएगा, ये नारा जेडीयू का नहीं राष्ट्रीय जनता दल का है।

जेडीयू ने अपनाया राजद का नारा
ललन सिंह ने राजद के नारे को जेडीयू से जोड़ दिया। इतना काफी होता है राजनीति में राय बनाने के लिए।  किसी भी बड़े ऐलान के पहले ये जरूरी होता है कि उस होने वाली घोषणा और फैसले के आलोक में माहौल तैयार किया जाए। इस माहौल की तैयारी के दरम्यान पार्टी/ नेता अपने कथित फैसले को अपने समर्थकों के बीच परोसते हैं। ये कवायद उनकी ओर से लिये जाने वाले फैसले या ऐलान के परिणाम का पूर्वानुमान लगाने की कोशिश होती है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का सोशल मीडिया पर डाला गया सियासी पोस्ट इस बात का संकेत हैं कि जेडीयू आने वाले दिनों में अपने और प्रदेश के राजनीतिक भविष्य को लेकर बड़ा फैसला लेने वाली है।

बड़ा फैसला लेगी जेडीयू
ऐसा लगता है कि अगर किसी का नारा और ‘धारा'(विचारधारा) लिया जा रहा है। संदेश साफ है कि कुछ तो पक रहा है। वे कहते हैं कि संभव है जेडीयू में राजद का विलय हो जाए! ऐसा इसलिए भी संभव है कि राजद हो या जेडीयू, ये सभी पार्टियां जनता दल से ही टूटकर निकली हैं। एक छतरी के नीचें आ जाएं, ये बड़ी बात नहीं होगी। हालांकि, उन्होंने जनता दल के एक होने पर प्रश्नचिह्न लगाया। उन्होंने कहा कि कालांतर की राजनीतिक घटनाएं इस बात की गवाह है कि जनता दल में एका होने वाली सियासी खिचड़ी किसी कालखंड में सफलतापूर्वक नहीं पकी है। जुड़ने से पहले बिखरने की भी घटनाएं होती रही हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। वक्त के साथ इंतजार करना चाहिए। पुरानी कहावत है। समाजवादी एक दिन से ज्यादा साथ नहीं रहते और दो दिन से ज्यादा अलग नहीं रहते।

नीतीश ने बनाई प्रचार से दूरी
गोपालगंज और मोकामा विधानसभा सीट उपचुनाव प्रचार से नीतीश कुमार ने दूरी बना ली है। जेडीयू नेता भी कुछ एक्टिव नहीं दिख रहे हैं। इस बीच ललन सिंह ने सामाजिक न्याय का नारा छेड़ दिया है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि अब राजद और जेडीयू में विलय होगा। हालांकि, राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बिहार की सियासत अभी उलझन के दौर से गुजर रही है। नीतीश के करीबी मांझी का ये कहना है कि नीतीश एक बार फिर पलटेंगे, तो हम साथ देंगे। ये बयान क्या संदेश देता है। उस बीच ललन सिंह का ‘सामाजिक न्याय’ का नारा देना, जेडीयू और राजद के आपसी विलय का संदेश देता है। कुछ लोगों का कहना है कि नीतीश कुमार राजद-जदयू के विलय के बाद देश में नरेंद्र मोदी का मजबूत विकल्प तैयार करने वाले हैं।

सुशासन का नारा गायब!
उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के बाद से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि आरजेडी और जेडीयू का विलय होगा। सीएम नीतीश और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपनी-अपनी पार्टियों का विलय करके एक नए मजबूत दल का निर्माण कर सकते हैं, जो बिहार ही नहीं बल्कि देशभर में बीजेपी को चुनौती देगा। हालांकि, अभी तक दोनों पार्टियों की ओर से इस पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। माना जा रहा है कि अंदरखाने विलय पर बात चल रही है। दोनों ही दल एक नए नाम और नए निशान के साथ नई पार्टी बनाने पर भी विचार कर सकते हैं।

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