Homeबिहार के अखबारों मेंउपचुनाव में BJP की 'बिरादरी' वाली नीति: जाति के हिसाब से टोले-मोहल्ले पहुंच रहे विधायक, महागठबंधन में तेजस्वी ने अकेले संभाला मोर्चा

उपचुनाव में BJP की ‘बिरादरी’ वाली नीति: जाति के हिसाब से टोले-मोहल्ले पहुंच रहे विधायक, महागठबंधन में तेजस्वी ने अकेले संभाला मोर्चा

बिहार की नई राजनीतिक गठजोड़ के बाद गोपालगंज और मोकामा में उपचुनाव हो रहे हैं। यहां 3 नवंबर को वोटिंग होनी है। दोनों जगह बीजेपी और महागठबंधन में सीधा मुकाबला है। सियासी गलियारे में इसे 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में सेमीफाइनल भी कहा जा रहा है। चुनाव कैंपेन में भी यह साफ दिखाई दे रहा है।

बीजेपी बोचहां के हार का बदला मोकामा में लेना चाहती है। यही कारण है कि गोपालगंज की सिटिंग सीट को नजरअंदाज कर पार्टी ने अपनी पूरी ताकत मोकामा में झोंक दी है। यहां बीजेपी की तरफ से ‘बिरादरी नीति’ को लागू किया गया है। पार्टी के लगभग 40 से ज्यादा विधायक और सैकड़ों नेता मोकामा में कैंप कर रहे हैं। ये नेता यहां जाति के हिसाब से अलग-अलग टोलों और मोहल्लों में पहुंच रहे हैं।

वहीं बात करें महागठबंधन की तो यहां डिप्टी सीएम तेजस्वी अकेले मोर्चा संभाल लिए हैं। इसमें उनका साथ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का मिल रहा है। ललन सिंह मोकामा और गोपालगंज दोनों जगह महागठबंधन के प्रत्याशी के लिए कैंप कर चुके हैं। वहीं तेजस्वी यादव गोपालगंज में एक बड़ जन रैली के साथ रोड शो कर बीजेपी की गढ़ में सेंधमारी करने की कोशिश की है।

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की अगुआई में दिग्गज नेताओं ने डाला डेरा

बीजेपी के प्रचार रणनीति में हर जाति के हर वोटर तक पहुंचने की है। इसलिए बड़ी-बड़ी सभाओं की जगह वह हर वर्ग और जाति के मतदाताओं को साधने के लिए अलग- अलग नेताओं को उनके जातीय प्रभाव वाले इलाकों में भेजा जा रहा है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल की अगुआई में पार्टी के कई दिग्गज नेता इसमें नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा, सम्राट चौधरी, पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी पिछले एक सप्ताह से मोकामा में डेरा डाले हुए हैं।

सूरजभान सिंह खुद भूमिहार इलाके में कर रहे हैं कैंप

राजपूत वोट को लुभाने के लिए नीरज बबलू, राजेंद्र सिंह खुद मोकामा में कैंप किए हुए हैं। इसके अलावा जमुई की विधायक श्रेयसी सिंह राजपूत बाहुल इलाकों में कैंप कर चुकी हैं। वहीं मोकामा में भूमिहार समाज के बड़े नेता माने जाने वाले सूरजभान सिंह खुद बीजेपी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। बीजेपी के एमएलसी देवेश कुमार भी मोकामा में कैंप कर रहे हैं। सूरजभान सिंह की पत्नी व पूर्व सांसद वीणा देवी खुद को मोकामा की बहू बताकर मतदाताओं से सोनम देवी के लिए वोट मांग रही है।

चिराग पासवान पर महादलित को साधने की जिम्मेदारी

भाजपा यहां किसी भी लिहाज से कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है। यही कारण है कि अभी भीतरखाने से भाजपा को सपोर्ट कर रहे चिराग पासवान इस उपचुनाव में पहली बार खुलकर भाजपा के लिए प्रचार अभियान चलाएंगे। चिराग पासवान को महादलित वर्ग के वोटों को साधने की जिम्मेदारी दी गई है। चुनाव प्रचार अभियान के आखिरी दिन चिराग मोकामा और गोपालगंज दोनों जगह बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में अभियान चलाएंगे।

विधायकों को 1000-1000 वोट की दी गई है जिम्मेदारी

बीजेपी की तरफ से मोकामा में अपने विधायकों को विशेष टास्क दिया गया है। यहां पार्टी के विधायक दो तरह से कैंपेन कर रहे हैं। 15-20 विधायक ऐसे हैं जो विधानसभा क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में कैंप कर रहे हैं। वहीं कुछ विधायक ऐसे हैं जो एक दिन में जनसंपर्क कर निकल जा रहे हैं। कैंप करने वाले सभी विधायकों को अपने-अपने इलाके में 1000-1000 वोट पार्टी के पक्ष में दिलवाने की जिम्मेदारी दी गई है।

गोपालगंज में जिसके साथ वैश्य, उनकी जीत तय:बीजेपी-महागठबंधन के बीच इस बार टफ फाइट,

गोपालगंज में 3 नवंबर को उपचुनाव होना है। गोपालगंज वही जिला है, जिसने राज्य को तीन-तीन मुख्यमंत्री(अब्दुल गफूर, लालू यादव, राबड़ी देवी ) दिए। बिहार के मौजूदा डिप्टी सीएम का ताल्लुकात भी इसी जिले से है। यहां के विधायक रहे सुभाष सिंह के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी। उनकी पत्नी भाजपा से उम्मीदवार हैं। पूरे विधानसभा क्षेत्र में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है। हालांकि अभी तक यहां प्रदेश और राष्ट्र स्तर के किसी बड़े नेता की रैली या कोई चुनावी कार्यक्रम नहीं हुआ है।

मोकामा विधानसभा उपचुनाव-बाहुबली Vs बाहुबली:आमने-सामने दो बाहुबलियों की पत्नियां

मोकामा विधानसभा उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को वोटिंग होनी है। चुनाव-प्रचार जोर-शोर से चल रहा है। यह बिहार की वह धरती है, जहां से उद्योग उजड़ गए और उसकी जगह ले ली AK-47 ने। राजनीति में बंदूक की हनक गूंजने लगी। अब यहां बाहुबली VS बाहुबली है। भूमिहारों के गढ़ में दो बाहुबलियों की पत्नियां आमने-सामने हैं। दोनों भूमिहार वोटों के भरोसे किला फतह करना चाहती हैं।

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