बिहार में जमीन को लेकर खूब झगड़े हैं। जमीन से जुड़े झगड़े हत्या जैसे गंभीर अपराध की वजह भी बनते हैं। जमीन माफिया विवादित जमीन का कारोबार कर लाखों और करोड़ों रुपए कमाते हैं। जो लोग ऐसी जमीन के चक्कर में फंस जाते हैं, वे परेशान होते हैं। इसे देखते हुए सरकार विशेष व्यवस्था करने जा रही है।
आनलाइन देख सकेंगे विवादित जमीन का विवरण
अब बिहार में विवादित जमीन की जानकारी जल्द ही गांव के नाम के साथ उपलब्ध होगी। इसे आनलाइन भी देखा जा सकेगा। इसके साथ ही विवादित भूमि को प्रकृति के अनुसार अलग-अलग रंगों से प्रदर्शित किया जाएगा। यानी रंग के अनुसार, पता चला जाएगा कि भूमि विवाद मामला अभी किस स्तर पर है। गृह विभाग ने पिछले दिनों समीक्षा बैठक के बाद इस बाबत नए सिरे से निर्देश दिया है। अभी तक थाना स्तर पर विवादित जमीन का डाटा तैयार किया जा रहा था।
दो तरह के रंगों से दिखेगी विवाद वाली जमीन
गृह विभाग ने विवादित जमीन की होने वाली भोगौलिक सूचना प्रणाली (जीआइएस) मैपिंग में गांव को प्वाइंट बनाकर प्रदर्शित करने को कहा गया है। इस प्वाइंट पर दो तरह की लेयरिंग करने का भी निर्देश दिया गया है। अतिसंवेदनशील एवं संवेदनशील भूमि विवाद को अलग रंगों से प्रदर्शित करने को कहा गया है। इसके अलावा निस्तारित एवं प्रक्रियाधीन भूमि विवाद से जुड़े मामलों को अलग रंग से प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है।
फिर से लिखा जाएगा डीएम-एसपी को पत्र
गृह विभाग ने भूमि विवाद की समस्या के निराकरण के लिए सभी आयुक्त, आइजी, डीएम, एसएसपी व एसपी को निर्धारित संख्या में बैठक आयोजित करने के लिए फिर से पत्र लिखने को कहा है। वरीय स्तर पर इसकी लगातार मानीटरिंग का निर्देश भी दिया गया है। इसके साथ ही जीआइएस मैपिंग के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआइसी) को मोबाइल ऐप विकसित करने को भी कहा गया है। इसमें भूमि विवाद के अंतरिम और अंतिम डिस्पोजल के लिए अलग-अलग कालम बनाने का निर्देश दिया गया है।
टेंडर को लेकर मांगी गई सूचना
कब्रिस्तान की पक्की घेराबंदी योजना को लेकर भी समीक्षा बैठक में निर्देश दिए। जिन जिलों में टेंडर की कार्रवाई पूरी नहीं हुई है, उन जिलों में टेंडर पूर्ण कराने को कहा गया है। टेंडर की प्रक्रिया कब तक पूरी जाएगी, इसकी जानकारी भी मांगी गई है।