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बिहार में क्यों प्रसिद्ध है छठ पूजा का महापर्व, महाभारत से जुड़े हैं इसके तार

बिहार में छठ पूजा का पर्व बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है. बिहार में छठ पूजा का पर्व मनाने की परंपरा सदियों पुरानी है. ​बिहार में छठ पूजा का पर्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है.

लोक व आस्था का महापर्व छठ पूजा का त्योहार इस वर्ष 28 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा मनाने की परंपरा रही है. छठ पूजा पर देवी षष्ठी की पूजा का विधान है. आम भाषा में षष्ठी देवी को छठी मैया कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा पर षष्ठी देवी की विशेष पूजा अर्चना करने से सुख-समृद्धि, धन, वैभव, यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.

यूं तो छठ पूजा के पर्व की धूम देशभर में रहती है, लेकिन बिहार में इस पर्व को बड़े उल्लास और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है. बिहार में छठ पूजा पर्व मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. तो चलिए जानते हैं बिहार में छठ पूजा मनाने की अनूठी परंपरा कब और कैसे शुरू हुई.

बिहार में छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का महापर्व बिहार में सबसे अधिक प्रसिद्ध है. यहां 4 दिन तक छठ पूजा की धूम रहती है, जिसमें नहाय खाय, खरना, डूबते व उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. विशेष तौर पर नि:संतान महिलाओं के लिए छठ पूजा का बड़ा महत्व है.

ऐसा कहा जाता है कि छठ पूजा का व्रत रखने से नि:संतान को संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ में परिवार के खुश हाली का आशीर्वाद प्राप्त होता है. बिहार में छठ पूजा की प्रथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्यपुत्र कर्ण का संबंध बिहार के भागलपुर से माना गया है. सूर्य यहां सच्ची श्रद्धा से सूर्य देव की उपासना करते थे और पानी में घंटों तक रहकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते थे.

माना जाता है कि षष्ठी और सप्तमी तिथि को सूर्य विशेष आराधना करते थे. मान्यता है कि तब से ही यहां छठ पूजा की परंपरा शुरू हुई थी. इसके अलावा सूर्य पुराण में भी यहां के देव मंदिरों का उल्लेख मिलता है, इसलिए बिहार में छठ पूजा का विशेष महत्व होता है.

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