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बिहार नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर भाजपा और महागठबंधन के बीच जुबानी जंग

बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच नगर निकाय चुनाव में आरक्षण के मुद्दे पर सोमवार को भी जुबानी जंग जारी रही। यह चुनाव अदालत के उस हालिया आदेश के बाद अधर में लटका हुआ है, जिसमें राज्य की आरक्षण प्रणाली को अवैध बताया गया था। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़ने के बाद सत्ता से बाहर हुई भाजपा ने ‘‘आरक्षण बचाओ, नगर निकाय चुनाव कराओ’’ विषय पर राज्य भर में प्रदर्शन किए। इस कार्यक्रम का आयोजन पिछले हफ्ते कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) द्वारा किए गए इसी तरह के राज्य व्यापी प्रदर्शन कार्यक्रम ‘पोल खोल’ के जवाब में किया गया था।

भाजपा के प्रदर्शन कार्यक्रम के तहत राज्य मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भाजपा समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के मुद्दे पर कभी समझौता नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, ‘‘(प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी की सरकार ने (पूर्व राष्ट्रपति) राम नाथ कोविंद और (राष्ट्रपति) द्रौपदी मुर्मू को, क्रमशः एक दलित और एक आदिवासी को राष्ट्रपति के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचाया।’’

प्रसाद ने RJD नेता कार्तिक कुमार पर साधा निशाना

प्रसाद ने कहा कि ऐसा समझा जाता है कि राज्य के कानून सचिव ने सरकार से कहा था कि वह तब तक चुनाव नहीं करा सकती, जब तक उच्चतम न्यायालाय द्वारा निर्धारित कुछ मानदंड पूरे नहीं किए जाते, लेकिन ‘‘सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग को गुमराह किया और कहा कि उसे कानून सचिव की मंजूरी मिल गई है।’’ उन्होंने कहा कि वह देश के कानून मंत्री रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आप जानते हैं कि राज्य में कानून मंत्री का विकेट हाल ही में गिर गया था।’’ प्रसाद का इशारा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता कार्तिक कुमार की ओर था जिन्हें एक विवाद को लेकर दूसरे मंत्रालय में भेज दिया गया था और इसके बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

‘OBC, EBC को दिया आरक्षण’

प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार यह समझ नहीं पाए कि उच्चतम न्यायालय ने भले ही मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से संबंधित मामलों पर आदेश पारित किए हों, लेकिन ये सभी राज्यों के लिए बाध्यकारी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘और उनके नए सहयोगी RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद के बारे में क्या कहना, जिन्होंने एक दशक से अधिक समय तक सत्ता में रहने के दौरान नगर निकाय चुनाव की अनुमति नहीं दी थी। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में हमारी सरकार बनाने के बाद ही नए चुनाव हुए और ओबीसी और ईबीसी को आरक्षण दिया गया।’’

इस बीच, जदयू और उसके मुख्य वर्तमान सहयोगी राजद ने आरक्षण पर ‘‘मगरमच्छ के आंसू’’ बहाने के लिए भाजपा की आलोचना की और आरोप लगाया कि पिछड़े वर्गों के प्रति शत्रुता राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) की राजनीतिक शाखा के ‘डीएनए’ में है। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कैमूर जिले में संवाददाताओं से कहा, ‘‘भाजपा घड़ियाली आंसू बहा रही है। जाति जनगणना के मुद्दे पर इसके हठ के कारण चीजें इस मुकाम तक पहुंची हैं।’’ उन्होंने पटना उच्च न्यायालय के चार अक्टूबर के ‘‘प्रतिकूल’’ फैसले पर भी निराशा व्यक्त की।

‘भाजपा, गरीबों, मजदूरों और किसानों के सामने बेनकाब है’

कुशवाहा ने कहा, ‘‘अदालतें असाधारण परिस्थितियों में देर रात तक काम करने के लिए जानी जाती हैं। चुनाव प्रचार में खर्च करने वाले सभी लोगों को प्रभावित करने वाले आदेश को 15-20 दिन पहले पारित किया जाना चाहिए था। इससे चुनाव को टालने के अलावा किसी अन्य कदम की कुछ गुंजाइश बच सकती थी।’’ उन्होंने दोहराया कि राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय के समक्ष उच्च न्यायालय के आदेश का विरोध करेगी और चुनाव आरक्षण बहाल होने के बाद ही होंगे। राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने भी 1990 के दशक में ‘‘मंडल को विफल करने के लिए कमंडल का सहारा लेने’’ के लिए भाजपा पर हमला किया और एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि भाजपा-आरएसएस गरीबों, मजदूरों और किसानों के सामने बेनकाब है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ हैं ।

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