गुरूवार, मार्च 28, 2024
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बिहार में लगाए जाएंगे बीस हजार नए उद्योग-धंधे, मुजफ्फरपुर होगा व्यापार का हब

बिहार में 20 हजार नए उद्योग-धंधे लगेंगे। इन नए उद्योगों के लिए जमीन की कोई कमी नहीं है। विभाग के लैंड बैंक में चार हजार एकड़ जमीन है। इसमें दस हजार एकड़ और जुड़ रहा है। शनिवार को जिला स्कूल परिसर में उद्योग प्रदर्शनी मेले का शुभारंभ करते हुए उद्योग मंत्री समीर महासेठ ने ये बातें कहीं। मंत्री ने कहा, उद्योग से रोजगार की रफ्तार मिलेगी। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत हर जिले में 400 से 500 नए रोजगार का सृजन हो रहा है। बिहार के बाहर से युवा रोजगार छोड़कर यहां पर उद्योग लगा रहे हैं। उन्होंने अपने जिले के उत्पाद का खुद उपयोग करने की सलाह दी।

मुजफ्फरपुर को होगा विकास

मंत्री ने कहा, बिहार की आठ करोड़ की आबादी आने वाले दिन में देश के 30 करोड़ लोगों तक अपने उत्पाद को पहुंचाएगी। उद्यमी को सलाह दी कि बेहतर प्रोडक्ट बनाएं, बैंक से जुड़ें तथा डिजिटल प्लेटफार्म पर अपने उत्पाद को डालें। देश ही नहीं विदेश में उसकी धूम रहेगी। मुजफ्फरपुर व्यापार का हब है। इसको मिनी मुंबई कहा जाता है। यहां पर अगर सरकार के सहयोग से उद्योग का नेटवर्क मजबूत होता है तो उसका असर अगल बगल के जिले में भी होगा। विभाग के विशेष सचिव दिलीप कुमार ने कहा कि लोकल से ग्लोबल तक जाना है। इस तरह के मेले से उद्योग को बढ़ावा मिल रहा है। खाद्य प्रसंस्करण यूनिट लगाने पर बल दिया। लीची, आम, पपीता व अन्य फल पर आधारित उद्योग लगाएं। जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने कहा कि छोटे-छोटे समूह बनाकर या खुद का उद्योग लगाकर अपना रोजगार करें और दूसरे को भी रोजगार का अवसर दें। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक धर्मेंद्र कुमार सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत पौधा, प्रतीक चिह्न व अंगवस्त्र से किया। मौके पर उत्तर बिहार उद्यमी संघ के अध्यक्ष नीलकमल, मंत्री विक्रम विक्की, संगठन मंत्री शशांक श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

आचार, लहठी, लीची जूस, रेडिमेड वस्त्र के लगे स्टाल

तीन दिवसीय उद्योग मेले में लीची के जूस से लेकर लहठी समेत जिले के अन्य उत्पादों की धूम है। आचार, लहठी, लीची जूस, रेडिमेड वस्त्र, सेवई, खादी व ग्रामोद्योगी वस्तुओं के स्टाल लगे हैं। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से दस लाख की राशि लेकर रोजगार करने वाले विजय कुमार ने बताया कि अभी आठ लोगों को रोजगार दे रहे हैं। अभी हर माह 10 से 15 हजार रुपये की बचत हो रही है। सूतापटटी की आभा चौधरी स्थानीय स्तर पर रेडिमेड शर्ट और मेडिकल जगत के लिए एप्रन बना रही हैं। एमबीए की पढ़ाई के बाद जाब छोड़ दिल्ली से आकर मोजा की फैक्ट्री लगाने वाले प्रभात कुमार ठाकुर ने बताया कि अभी 15 लोगों को रोजगार दे रहे हैं। खुद की आमदनी 50 हजार से एक लाख के बीच है। लीचिका के संचालक केपी ठाकुर ने बताया कि वह जूस व रसगुल्ला बनाते हैं। इनका उत्पाद सालोंभर रहता है। रेडलाइट एरिया की महिलाओं की ओर से संचालित जोहरा समूह की ओर से रेडिमेड वस्त्र की प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र बनी है। इसी तरह जीविका समूह व अन्य उद्यमियों के उत्पाद की प्रदर्शनी लगी है।

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