Homeबिहार के अखबारों मेंमिट रही बापू की विरासत: असहयोग आंदोलन और बिहार का खगड़िया, ये है महात्मा गाधी का 'आश्रम'

मिट रही बापू की विरासत: असहयोग आंदोलन और बिहार का खगड़िया, ये है महात्मा गाधी का ‘आश्रम’

आजादी की लड़ाई के दौरान असहयोग आंदोलन के समय 1920-21 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी खगड़िया के गोगरी में गंगा नदी के रास्ते पहुंचे थे। वे जहां ठहरे थे-उसका नाम ‘आश्रम’ पड़ा। आज आश्रम का अस्तित्व मिटता जा रहा है। इसकी सुध लेने वाले कोई नहीं हैं। आश्रम की निशानी आखिरी दीवार भी जंगल-झाड़ में गुम है। अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह दीवार भी मिट्टी में मिल जाएगी। इस तरह एक गौरव गाथा की आखिरी भौतिक निशानी भी मिट्टी में दफन होकर रह जाएगी।

पंडित सुरेशचंद्र मिश्र के आग्रह पर आए बापू

प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्मृति शेष पंडित सुरेशचंद्र मिश्र के विशेष आग्रह पर गांधी जी 1920 में गोगरी पहुंचे थे। वे मुंगेर के रास्ते पानी के जहाज से गोगरी गंगा घाट पहुंचे और वहां से पैदल ही लोगों से मिलते-जुलते गोगरी आश्रम टोला पहुंचे। जहां स्वदेशी अपनाओ का मंत्र दिया। आज यह स्थल दक्षिणी जमालपुर में पड़ता है। यहां गांधी के अनुयायियों ने आश्रम बनाया था। जहां वे रुके, रात गुजारी, चरखे पर सूत काता, आज वह आश्रम अपना अस्तित्व खो चुका है। बापू की विरासत को देखने और बचाने के लिए कोई आगे नहीं आया।

वर्तमान में जंगल-झाड़ के बीच आश्रम की मात्र एक टूटी-फूटी दीवार दिखाई पड़ रही है। यह जगह अभी राष्ट्रीय उच्च विद्यालय के प्रांगण में है। दो दशक पूर्व तक यहां उसी आश्रम में गांधी प्राथमिक विद्यालय संचालित था, लेकिन विद्यालय को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया। उसके बाद भवन संरक्षण व देखरेख के अभाव में ढह गई।

परबत्ता विधानसभा के विधायक डा. संजीव कुमार ने कहा, ‘उक्त स्थल का जायजा लेंगे। इसके बाद अधिकारियों से बात की जाएगी। इस ऐतिहासिक विरासत को बचाने, संरक्षण-संवर्धन का हर संभव प्रयास किया जाएगा।’

खगड़िया सदर के विधायक छत्रपति यादव ने कहा, ‘निकाय चुनाव के बाद उक्त स्थल का अवलोकन करेंगे। बापू की विरासत को बचाने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। उक्त स्थल के जीर्णोद्धार को लेकर कोशिश की जाएगी।’

सांसद चौधरी महबूब अली कैसर ने कहा, ‘खगड़िया आने पर उक्त स्थल का जायजा लिया जाएगा। इसके संरक्षण की दिशा में कार्य किया जाएगा।’

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