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6 साल कांस्टेबल, गोदी में 7 महीने का बच्चा, तीसरी कोशिश में सिपाही से बन गईं DSP

बेगूसराय में कार्यरत महिला सिपाही बबली की चर्चा आज पूरे जिले के साथ बिहार में हो रही। बबली अपनी लग्न और मेहनत की बदौलत आज सिपाही से डीएसपी बन गई है। बबली की सफलता की कहानी भी पूरी फिल्मी है। शादी से पहले बबली ने घर की बड़ी बेटी होने की वजह से सारी जिम्मेदारी उठाईं। 2015 में बबली ने बतौर कांस्टेबल पुलिस में ड्यूटी शुरू की। इस दौरान बबली ने समय निकालकर बीपीएससी की तैयारी की और दो बार परीक्षा दी। बीपीएससी की परीक्षा में दोनों बार बबली के हाथ सफलता नहीं लगी।

बोध गया के भागलपुर निवासी रोहित कुमार की पत्नी बबली ने 2015 में खगड़िया में बतौर कांस्टेबल सेवा की शुरुआत की थी। वर्तमान में वह पुलिस लाइन बेगूसराय में पदस्थापित हैं। डीएसपी बबली ने बताया कि घर की बड़ी बेटी के दायित्व के निर्वहन के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी का प्रयास किया और 2015 में कांस्टेबल पद पर चयनित हुईं थीं। घर की आर्थिक परेशानियों के कारण उन्होंने अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रयास जारी रखा। यह सफलता उन्हें तीसरे प्रयास में मिली है।

बबली ने कहा कि मजबूत इच्छाशक्ति से कोई भी सफलता पाई जा सकती है। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं है, यह सोचकर घरवालों को बताया कि उसे पुलिस विभाग में जाना है। इसके बाद घर वालों ने भी सहमति दे दी। घर की बड़ी बेटी होने और आर्थिक मजबूरी की वजह से उसे पहले सिपाही की नौकरी मिली तो उसने वह नौकरी कर ली। सिपाही की ड्यूटी के साथ-साथ वह लगातार बीपीएससी की तैयारी करती रही। दो बार बीपीएससी में असफलता मिलने के बाद तीसरी बार में यह सफलता मिली है। इसके लिए उसने कड़ी मेहनत की थी।

डीएसपी बनी बबली ने बताया कि गर्भवती होने पर पटना में रहकर मेंस की तैयारी की और परीक्षा पास की। बबली के सात माह की बेटी है। बबली अपने पूरे परिवार के साथ खुशियों को बांट रही है। बबली ने कहा कि उसके ऊपर जिम्मेदारी थी, वह घर परिवार के साथ-साथ ड्यूटी कर रही थी। उसका सपना था कि वह बीपीएससी पास करें। इसके लिए उसने कड़ी मेहनत की।

एसपी कार्यायल में एसपी योगेंद्र कुमार, मुख्यालय डीएसपी निशीत प्रिया, सदर डीएसपी अमित कुमार ने बारी-बारी से मिठाई खिलाकर बधाई दी। बबली के सात माह के बच्चे, उनके पिता व पति को बधाई दी है। मौके पर एसपी कार्यालय में मिठाइयां भी बांटी। एसपी योगेंद्र कुमार ने कहा कि जिला बल की होनहार सिपाही ने ड्यूटी के बाद समय निकाल कर न सिर्फ अपना सपना साकार किया है, बल्कि उन्होंने सहकर्मियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी है।

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