Homeबिहार के अखबारों मेंबिहार के सभी 8463 पैक्‍सों का किया जाएगा कंप्‍यूटराइजेशन, युवाओं के लिए खुलेंगे रोजगार के द्वार

बिहार के सभी 8463 पैक्‍सों का किया जाएगा कंप्‍यूटराइजेशन, युवाओं के लिए खुलेंगे रोजगार के द्वार

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पैक्सों की भूमिका बढ़ेगी। इस उद्देश्य से बिहार के सभी 8,463 पैक्सों में कंप्यूटराइजेशन परियोजना (Computerization of PACS) जल्द लागू होगी। इसे सहकारी क्षेत्र की प्राथमिक कृषि साख समिति (पैक्स) को डिजिटल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस संबंध में सहकारिता मंत्रालय ने पैक्स कंप्यूटराइजेशन परियोजना की शुरुआत करते हुए 70 प्रतिशत राशि केंद्रांश के रूप में देने की सहमति दी है। बिहार सरकार को राज्यांश के रूप में 30 प्रतिशत राशि खर्च करनी होगी। अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 तक सभी पैक्सों को कंप्यूटराइजेशन योजना के अधीन लाने का लक्ष्य है। निष्क्रिय पैक्सों को भी सक्रिय बनाया जाएगा।

पैक्सों के कार्यों पर नजर रखने को जिलास्तरीय निगरानी समिति

एक उच्च पदस्थ पदाधिकारी ने बताया कि सहकारिता मंत्रालय ने बिहार सरकार को अपने वार्षिक बजट में पैक्स के कंप्यूटराइजेशन के लिए राशि का प्रविधान करने को कहा है। पैक्सों के कार्यों में पारदर्शिता लाने हेतु जिला स्तरीय निगरानी और क्रियान्वयन समिति का गठन करने को भी कहा है। इसके साथ ही मंत्रालय ने यह तय किया है कि जिन पैक्सों में  कंप्यूटराइजेशन प्रस्तावित किया जाए, उसका पहले आडिट जरूर करा लिया जाए। इसके लिए सभी जिलों में पैक्सों के आडिट के लिए अभियान चलाया जाएगा। कंप्यूटराइजेशन के लिए पैक्स के प्रस्ताव तैयार करने और उसके लिए साफ्टवेयर के प्रविधानों पर अगले माह से काम आरंभ होगा, जबकि परियोजना को लागू करने और उनकी निगरानी करने के लिए जिला स्तर तक समितियां असल फैसला लेंगी।

पैक्सों की छवि बदलेगी, रोजगार बढ़ेंगे

सहकारिता के महत्वपूर्ण अंग रहे पैक्सों की छवि बदलने हेतु केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कार्य करेगी। पैक्सों से केवल किसान ही नहीं, बल्कि आम लोगों को भी जोड़ने का कार्य होगा। पैक्सों के तहत बीज व खाद वितरण, कोल्ड स्टोरेज, भंडारण गृह, लाकर, राशन दुकानों का संचालन, कामन सर्विस सेंटर, दुग्ध एवं शहद उत्पादन, मत्स्य पालन, नल से जल, सिंचाई व्यवस्था और गोबर गैस जैसे कार्य भी होंगे। सहकारी समितियों (पैक्स) की सक्रियता से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां रोजी-रोजगार बढ़ेगा, वहीं किसानों को स्थानीय स्तर पर बीज, उर्वरक व कीटनाशक उपलब्ध होने लगेगा। उनकी उपज की बिक्री में सहयोग और सस्ता कर्ज पाने में सुविधा मिलेगी।

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