कृषि रोडमैप के सफल क्रियान्वयन का फलाफल अब बिहार में तेजी से दिखने लगा है। इससे न सिर्फ रोजगार सृजित हो रहे हैं, बल्कि खाद्य चीजों के उत्पादन भी तेजी से बढ़ रहा है। मछली उत्पादन में बिहार जल्द आत्मनिर्भर होगा, क्योंकि मछली उत्पादन में देशभर में बिहार चौथे स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2007-08 में प्रदेश में दो लाख 88 हजार टन सालाना मछली उत्पादन होता था, वह वर्ष 2020-21 में बढ़कर सात लाख 62 हजार टन हो गया है। इसी तरह प्रदेश में दूध उत्पादन भी दोगुना हो गया है। 2007-08 में में 57 लाख सात हजार टन दूध उत्पादन था, जो वर्ष 2020-21 में 115 लाख दो हजार टन हो गया। ऊर्जा और योजना विकास मंत्री एवं योजना पर्षद के उपाध्यक्ष बिजेंद्र प्रसाद यादव ने शुक्रवार को पत्रकारों को इसकी जानकारी दी।
दूध, अंडा एवं मछली के उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज
इससे पहले योजना पर्षद के सभागार में मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन एवं प्रगति की समीक्षा की। बैठक की जानकारी देते हुए योजना एवं विकास विभाग के सचिव विनय कुमार ने बताया कि कृषि रोडमैप के तहत विभिन्न विभागों में योजना के सतत एवं सफल क्रियान्वयन से जहां रोजगार सृजन में तेजी से वृद्धि हो रही है, वहीं खाद्य चीजों के उत्पादन में भी बिहार देश में तेजी से आगे बढ़ रहा है। ग्रामीण स्वरोजगार के सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 2008 से राज्य में कृषि रोड मैप के कार्यान्वयन से दूध, अंडा एवं मछली के रिकार्ड उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हासिल की है। इसलिए प्रदेश में रोजगार सृजन और खाद्य चीजों के उत्पादन के नए आंकड़ों से नीति आयोग को जल्द अवगत कराया जाएगा।
- देश में मछली उत्पादन में चौथे स्थान पर पहुंचा प्रदेश
- वर्ष 2007-08 में 2.88 लाख टन सालाना मछली उत्पादन था जो अब बढ़ कर 7.62 लाख टन हो गया
- इसी तरह दूध उत्पादन 57.7 लाख टन से बढ़ कर 115.2 लाख टन हो हुआ
30132 लाख अंडा का सालाना उत्पादन
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव डा. एन. सरवण कुमार के मुताबिक प्रथम कृषि रोडमैप से पहले वित्तीय वर्ष 2007-08 में राज्य में अंडे का वार्षिक उत्पादन 10612 लाख था, जो बढ़कर वर्ष 2020-21 में 30132 लाख हो गया। इसी तरह 2007-08 में राज्य का वार्षिक मांस उत्पादन एक 80 हजार टन था, जो बढ़ कर वर्ष 2020-21 में तीन लाख 86 हजार टन हो गया। पशुपालकों के द्वार तक पशु चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए डोर स्टेप डिलीवरी की योजना जल्द लागू होगी। इसकी स्वीकृति दी जा चुकी है। सभी गांवों तक दुग्ध समितियों की पहुंच सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2024-25 तक 7000 नई दुग्ध समितियों का गठन का लक्ष्य है। इसके विरुद्ध इस साल मई तक 1639 नई समितियों की स्थापना की जा चुकी है। सभी प्रखंडों में 600 सुधा के बिक्री केंद्र स्थापित किए जाएंगे।