बिहार में चिंता का सबब बन चुके शिशु मृत्यु दर में अब साल दर साल कमी देखी जा रही है. मृत्यु दर घटकर अब 27 पर पहुंच गई है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम 2020 की रिपोर्ट जारी करते हुए प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा है कि ये रिपोर्ट बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का द्योतक है. दरअसल, वर्ष 2020 के अनुसार बिहार में शिशु मृत्यु दर में दो अंकों की कमी आई है. राज्य में शिशु मृत्यु दर घटकर अब जहां 27 हो गई है, वहीं, देश में यह दर घटकर 28 पर पहुंची है. साफ है कि बिहार में शिशु मृत्यु दर देश से एक प्रतिशत कम है. स्वास्थ्य मंत्री ने इस उपलब्धि के लिए राज्यवासियों और स्वास्थ्यकर्मियों को बधाई दी है.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि विगत पांच सालों से बिहार के शिशु मृत्यु दर में निरंतर कमी आ रही है. वर्ष 2015 में राज्य में शिशु मृत्यु दर 42 थी जो 2016 में घटकर 38 हुई. वर्ष 2016 में बिहार की शिशु मृत्यु दर 38 थी, जो 2017 में घटकर 35 हो गई. वहीं, वर्ष 2018 में भी 2017 की तुलना में शिशु मृत्यु दर तीन अंक घटकर 32 हुई, और यह सिलसिला वर्ष 2019 में भी जारी रहा. वर्ष 2018 की तुलना में 2019 में शिशु मृत्यु दर तीन अंक घटकर 29 हो गई.
मंगल पांडेय के अनुसार, भविष्य में बच्चों की और बेहतर देखरेख के लिए पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) के नये वार्ड बनाये जा रहे हैं, ताकि शिशु मृत्यु दर में और कमी लायी जा सके. मंत्री ने कहा कि राज्य मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सतत प्रयासरत है. वहीं गुणवत्तापूर्ण संस्थागत प्रसव, नियमित टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है.
मंत्री ने कहा कि गंभीर बच्चों के इलाज के लिए विशेष नवजात देखभाल इकाई और नवजात गहन देखभाल इकाई की बेहतर सेवाओं सहित कमजोर नवजात देखभाल कार्यक्रम और गृह आधारित नवजात देखभाल जैसी पहल शिशु मृत्यु दर को कम करने में कारगर साबित हुआ. विभाग द्वारा लगातार स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मियों का निरंतर क्षमतावर्धन किया जा रहा है.