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सियासी उठापटक के बीच नीतीश का बड़ा फैसला, जातिगत जनगणना पर 27 मई को बुलाई सर्वदलीय बैठक

बिहार में जारी सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 27 मई को जाति आधारित जनगणना पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है। उन्होंने बताया कि बैठक में सभी से राय ली जाएगी। इसके बाद प्रस्ताव को राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 27 मई को होने वाली बैठक पर कुछ दलों के साथ बातचीत हुई है। वहीं अन्य दलों की प्रतिक्रिया का इंतजार है।

बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है
बिहार की सियासत में कुछ बड़ा होने की उम्मीद है। दरअसल, नीतीश कुमार अपने पार्टी के विधायकों को अगले 72 घंटे के लिए पटना में रहने का भी फरमान सुना चुके हैं। इसके बाद उन्होंने जातिगत जनगणना पर सर्वदलीय बैठक का एलान कर दिया है। पिछले कुछ घटनाक्रमों को देखें तो पिछले दिनों हुई इफ्तार पार्टियों ने नीतीश और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच दूरियों को भी खत्म करने का काम किया था। वहीं जातिगत जनगणना के मुद्दे पर आरजेडी और नीतीश कुमार पहले से ही एक राय हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश जल्द ही भाजपा को बड़ा झटका दे सकते हैं। गौरतलब है कि नीतीश और आरजेडी जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं तो भाजपा इस मुद्दे से दूरी बनाने का प्रयास कर रही है।

आरसीपी पर भी फंसा पेंच 
बिहार में राज्यसभा की पांच सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं। संख्याबल के हिसाब से इन पांच सीटों में राजद और भाजपा के हाथ दो-दो तो जदयू के हाथ एक सीट आनी है। भाजपा एक सीट पर केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को दोबारा राज्यसभा भेजना चाहती है, लेकिन जदयू ने अभी तक इस पर सहमति नहीं दी है। आरसीपी अब तभी राज्यसभा जा सकते हैं जब भाजपा और जदयू में उन्हें उम्मीदवार बनाने पर सहमति बने। ऐसे में केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह मोदी सरकार में मंत्री रहेंगे या नहीं यह भाजपा के रहमोकरम पर निर्भर करेगा। अगर दोनों के बीच सहमति नहीं बनती है तो आरसीपी की राज्यसभा सदस्यता के साथ मंत्री पद भी जाना तय है। भाजपा के लिए धर्मसंकट यह है कि पार्टी के दो सदस्य गोपाल नारायण सिंह और सतीश चंद्र दुबे की सीट खाली हो रही है। ऐसे में पार्टी एक सीट का नुकसान नहीं झेलना चाहती।

ऐसे समझें राज्यसभा का गणित
राज्य में एक सीट जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट की जरूरत है। जदयू के पास इस समय 45 विधायक हैं, जबकि उसे एक निर्दलीय विधायक का समर्थन हासिल है। भाजपा के पास 77 विधायक हैं। दूसरी सीट जीतने के लिए उसे पांच अतिरिक्त विधायकों के वोट की जरूरत है। यह कमी सहयोगी हम और जदयू के बाकी बचे पांच विधायकों के जरिए पूरी हो सकती है। राजद के पास 76 विधायक हैं। उसे भाकपा माले, कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में उसके लिए दो सीटें जीतना आसान है।

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