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अनुकूल स्थिति पाकर जैव विविधता का मॉडल क्षेत्र बना उत्तर बिहार

उत्तर बिहार जैव विविधता का मॉडल क्षेत्र बन रहा है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मन-पोखर, जंगल-मैदान-दियारा यहां के पारिस्थितिकी तंत्र में विविधता भर रहे हैं। पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) से लेकर समस्तीपुर के जैव विविधता पार्क और दरभंगा के कुशेश्वरस्थान पक्षी विहार तक इसका विस्तार है। पूर्वी चंपारण और मधुबनी में भी ऐसे क्षेत्र चिह्नित हुए हैं, जहां नदियों की विलुप्त और बिखरती धाराओं को सहेजकर उनके आसपास पक्षियों और जलीय जीवों का संरक्षण किया जाएगा।

वीटीआर में संरक्षण पा रहे दुर्लभ जीव

नेपाल के चितवन राष्ट्रीय निकुंज से जुड़ा और करीब एक दर्जन पहाड़ी नदियों के बीच करीब 900 वर्गकिमी में फैला वीटीआर जीव-जंतुओं से लेकर वानस्पतिक विविधताओं से भरा है। 55 प्रकार के स्तनधारी, 26 प्रकार के सरीसृप, 13 प्रजातियों के उभयचर, 300 से अधिक प्रजातियों के पक्षी और 150 से अधिक प्रकार की वनस्पतियां इसे समृद्ध करते हैं। इनमें कई दुर्लभ प्रजाति के हैं। वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डा. नेशामणि के. का कहना है कि मगरमच्छ, हाथी और गैंडों के संरक्षण के लिए भी काम हो रहा है। यहां 200 से अधिक गिद्धों का होना भी सुखद है।

50 लाख की लागत से विकसित होगा सरैयामन

बेतिया में सरैयामन में पक्षी समेत अन्य जीवों का प्राकृतिक आवास विकसित करने के लिए करीब 50 लाख की राशि स्वीकृत की गई है। दो साल पहले बाटनिकल सर्वे आफ इंडिया, कोलकाता की टीम यहां से 37 तरह के पौधों का हरबेरियम ले गई है।

भीमलपुर जंगल को बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने की तैयारी

पूर्वी चंपारण में भी जैव विविधता के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। मेहसी के भीमलपुर जंगल को बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भेजा गया है। जलवायु अनुकूलता के कारण एनएच-27 पर धनगढ़हां चौक के पास सरोतर झील भी प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा जगह है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सेंट्रल एशियन फ्लाई-वे एवं ईस्ट एशियन फ्लाई-वे से होकर आनेवाले प्रवासी पक्षियों के संरक्षण की बात कही है।

मेहमान पक्षियों को पसंद मिथिला की हवा

मधुबनी के बाबूबरही स्थित पिपराघाट में कमला, बलान और सोनी नदी के संगम पर भी विदेशी पक्षियों को देखा गया है। यहां सफेद गर्दन वाले गिद्ध भी मिले हैं। दियारा क्षेत्र में मेहमान पक्षियों के आगमन से वन विभाग का उत्साह बढ़ा है। चौर इलाकों में मखाना उत्पादन के साथ रोहू मछली के पालन पर भी जोर दिया जा रहा है। दरभंगा स्थित कुशेश्वरस्थान पक्षी विहार भी जैव विविधता में समृद्ध है।

समस्तीपुर का तितली पार्क जैव विविधता का महत्वपूर्ण घटक

समस्तीपुर के पूसा स्थित डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में बने तितली पार्क और नक्षत्र वन जैव विविधता के महत्वपूर्ण घटक हैं। यहां तितलियों की 45 से अधिक प्रजातियों पर अनुसंधान हो रहा है। कीट विज्ञानी डा. रमेश झा बताते हैं कि तितलियां कृषि तंत्र की खाद्य शृंखला में भूमिका निभाती हैं।

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