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खेती की जमीन को समतल कर रही है बिहार सरकार, किसानों की घटेगी लागत और बढ़ेगी कमाई

सरकार का लक्ष्य अभियान के पहले चरण में 5000 एकड़ खेती योग्य जमीन को समतल करने का है. अगले 5 साल में 25000 एकड़ खेती की जमीन को समतल करने की योजना है.

बिहार सरकार कृषि योग्य भूमि को समतल कर रही है. इसके लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया है. अभियान के पहले चरण में सरकार का लक्ष्य 5000 एकड़ खेती की जमीन को समतल करने का है. बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जमीन के समतलीकरण से किसानों को कई फायदे होंगे. पैदावार में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी और लागत में कमी आएगी. इससे किसानों की आदमनी में इजाफा होगा. उन्होंने कहा कि इस काम को व्यापक तौर पर करने के लिए कृषि विभाग के कर्मियों और किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा.

कृषि मंत्री ने कहा कि खेत की जमीन समतल नहीं रहने के कारण बीज का जमाव असमान हो जाता है. जीरो टिलेज जैसी आधुनिक मशीन से एक खास गहराई पर बीज गिराया जाता है, लेकिन खेत समतल नहीं रहने के कारण जीरो टिलेज मशीन एक ही गहराई में बीज नहीं गिरा पाती है. असमान गहराई में बीज गिरने से जमाव और बढ़वार प्रभावित होती है. वहीं खेत के समतल नहीं रहने के कारण खेत के किसी भाग में पानी का जमाव हो जाता है तो खेत के दूसरे भाग में नमी की कमी हो जाती है. इससे उपज प्रभावित होती है. खेत असमतल रहने के कारण फसल की सिंचाई करने में डीजल पर खर्च बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि लेजर लैंड लेवलिंग से उपज में 20 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है. इसी को ध्यान में रखकर खेती की जमीन को समतल करने का अभियान शुरू किया गया है.

उन्होंने कहा कि यह अभियान 25 अप्रैल 2022 से शुरू होकर 31 मई 2022 तक चलाया जाएगा. प्रत्येक जिले के जलवायु अनुकूल कृषि गांव में 5000 एकड़ खेत को समतल बनाने का लक्ष्य है. अगले पांच वर्षों में इस योजना के माध्यम से 25000 एकड़ खेत समतल बनाए जाएंगे. साथ ही लेजर लैंड लेवलिंग मशीन को भाड़े पर भी उपलब्ध कराया जाएगा. इस वर्ष 5000 कृषि विभाग के कर्मी प्रशिक्षित किएं जाएंगे और 50 हजार किसानों को भी प्रशिक्षित करने की योजना है. कृषि मंत्री ने 80 प्रकार के कृषि यंत्रों पर राज्य सरकार की तरफ से सब्सिडी योजना की घोषणा की. इसमें लेजर लैंड लेवलर भी शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए इस वर्ष 100 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की गई है.

कृषि मंत्री ने रासायनिक खेती से हो रहे नुकसान का जिक्र करते हुए प्राकृतिक खेती को अपनाने पर बल दिया गया. उन्होंने कहा कि जलपुरा गांव के किसानों का नाम इतिहास के पन्नो में लिखा जायेगा क्योंकि उन्होंने जो काम शुरू किया है उससे आने वाली पीढ़ीयों को लाभ होगा. बिहार के कृषि सचिव डॉ एन सरवण कुमार न अपने संबोधन में कहा कि कृषि विभाग की तरफ से जलवायु अनुकूल कृषि तकनीक को अपनाने पर बल दिया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि यह योजना 2019 में 8 जिलों में शुरू की गई थी. पहले ही वर्ष बहुत अच्छे परिणाम आए, जिसे देखकर राज्य सरकार ने 2020 से इसे राज्य के सभी जिलों में लागू कर दिया. बारिश और तापमान की अप्रत्याशित घटनाएं कृषि को प्रभावित कर रही हैं. ऐसे में जरूरी है कि मौसम के अनुसार फसल चक्र अपनाया जाय. उन्होंने कहा कि जीरो टिलेज और रेज्ड बेड पर बुआई को भी किसान अपनाएं. कृषि सचिव ने किसानों से अच्छे गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग करने की अपील की. उन्होंन कहा कि उच्च गुणवत्ता के बीज जलवायु की विषम परिस्थितियों का सामना करने में सहायक हैं.

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