शुक्रवार, मार्च 29, 2024
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बिहार के जमुई में दिन-रात पहरे में नींबू का बगीचा

भले ही नींबू का स्वाद खट्टा हो, लेकिन किसानों के जीवन में यह मिठास घोल रहा है। अल्प कमाई का यह स्रोत एक साल में किसानों को बड़ा मुनाफा दे रहा है। पिछले साल दो रुपये में बिकने वाली नींबू की कीमत इस साल सात से दस रुपये प्रति पीस के हिसाब से हो गई है। यानी साढ़े तीन गुना बढ़ गई है। लिहाजा किसानों की आमदनी बढ़ी तो, उनके जीवन स्तर में भी सुधार आया है। नींबू की बढ़ी कीमत ने जिले के सिकंदरा प्रखंड के नक्सल प्रभावित धनीमातरी गांव के किसानों के चेहरे पर खुशियां बिखेर दी है। वहीं, किसान अपने नींबू के बगीचों की रखवाली भी कर रहे हैं।

धनिमा गांव में आदिवासी समुदाय के किसानों ने डेढ़ एकड़ जमीन में नींबू की खेती की है। अब नींबू के फल लदे 281 पेड़ बहुआर नदी के किनारे स्थित इस गांव में लहलहा रहे हैं। नींबू के डालियां फल से पटी हैं। किसानों के परिवार में भी खुशियां पनपी है। बकौल किसानों ने बंजर भूमि पर नींबू की खेती से अपने आप को समृद्धि की राह पर अग्रसर कर दिया है। लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि आजादी के 76 साल के बाद भी इस गांव तक आज तक सही तरीके से पक्की सड़क भी नहीं पहुंच पाई है।

सहयोग से शुरू की नींबू की खेती

किसान कारू राय,सुरेश राय, हरि राय, शंकर राय ,बहादुर राय, मंटू राय, लालधारी राय, गिरीश राय, चमरू राय, कौशल्या देवी और रूपा देवी ने बताया कि नींबू की खेती शुरू करने से पहले हमलोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी। पटवन का कोई समुचित साधन नहीं होने के कारण हमारे खेत खाली रह जाते थे जिसके कारण किसी तरह पेट की आग बुझाने के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ होता था। सामूहिक बागवानी को लेकर व्यवसाय खेती के तहत नींबू की खेती को बढ़ावा देने को लेकर कार्य योजना तैयार किया। पौधारोपण के खेती के तकनीकी जानकारी देने को लेकर प्रशिक्षण दिया गया। तत्पश्चात हमलोगों ने डेढ़ एकड़ जमीन पर नींबू की खेती शुरू किया और इसके परिणाम स्वरूप सामाजिक बदलाव के साथ-साथ हमारे जीवन स्तर में भी काफी हद तक सुधार आया है।

कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली नगदी फसल

किसानों की मानें, तो यह कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। राज्य सरकार को किसानों को इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए समुचित प्रयास करना चाहिए। क्योंकि नींबू का पेड़ लगाने के पश्चात कोई अतिरिक्त लागत नहीं लगती है। केवल इसके पेड़ की देखभाल, छटनी,दवा का छिड़काव और पटवन करने की आवश्यकता होती है।

प्रत्येक वर्ष जनवरी से फरवरी माह के बीच और मई से जुलाई माह के बीच दो बार नींबू की फसल तैयार हो जाती है। स्थानीय मंडी में हमलोगों के द्वारा और संस्था के द्वारा पटना अथवा बिहारशरीफ के मंडी में इसे बेचा जाता है।पूर्व में एक सीजन में नींबू की खेती से प्रत्येक किसान को आठ से दस हजार रुपया की आय होती थी। इसकी तेज खपत और बाजार में किल्लत के कारण इस सीजन में प्रत्येक किसान को 20 से चालीस हजार रुपया के बीच आय हुई है। कुल मिलाकर इसकी कीमत में 250 फीसद की वृद्धि हुई है।

सतर्क होकर करनी पड़ रही है देखभाल

पिछले वर्ष इसकी बिक्री काफी कम कीमत पर होती थी।लेकिन इस वर्ष दूसरे प्रदेशों से नींबू के आयात पर रोक लगने के कारण खपत के हिसाब से इसकी मांग काफी बढ़ गई है। इसकी कीमत में भी काफी इजाफा हो गया है। जिसके कारण हमलोगों को हर हमेशा अपने खेतों के पास बैठकर या रात में जागकर इसकी देखभाल करनी पड़ रही है।

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