Home बिहार के अखबारों में

सत्ता में वापसी के लिए, तेजस्वी ऐसे सेट कर रहे हैं अपने सियासी मोहरे

बिहार की सियासत में बीजेपी अपना पहला मुख्यमंत्री बनाने की लिए राजनीतिक ताना-बाना बुन रही है. वहीं, तेजस्वी यादव आरजेडी की सत्ता में वापसी के लिए सियासी पिच दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं. 2020 में सत्ता के दहलीज तक पहुंचकर मात खाए तेजस्वी अब आरजेडी को आत्मनिर्भर बनाने से लेकर पार्टी के जातीय समीकरण तक को दुरुस्त और मजबूत करने की दिशा में एक-एक बाद एक सियासी कदम उठा रहे हैं.

आरजेडी को आत्म निर्भर बनना रहे हैं
बिहार की सत्ता में वापसी के लिए तेजस्वी यादव अब गठबंधन की बैसाखी के बजाय आरजेडी को आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी की सत्ता में वापसी न होने के पीछे एक बड़ी वजह कांग्रेस प्रत्याशियों का बेहतर प्रदर्शन न करना था. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि आरजेडी अगर कांग्रेस को सीटें देने के बजाय अगर खुद लड़ती तो सत्ता में वापसी तय थी. सीट शेयरिंग में कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन लेफ्ट पार्टियों ने किया था. यही वजह है कि आरजेडी अब बिहार में कांग्रेस से किनारा कर रही है.

विधानसभा उपचुनाव के बाद निकाय एमएलसी के चुनाव में भी आरजेडी ने कांग्रेस के लिए एक भी सीट नहीं दिया. हालांकि, तेजस्वी ने लेफ्ट पार्टियों के साथ रखे हुए हैं और एमएलसी चुनाव में एक सीट लेफ्ट पार्टी और 23 सीट पर आरजेडी ने प्रत्याशी उतारा है. आरजेडी ने साफ कह दिया है कि कांग्रेस से राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन रहेगा, बिहार में नहीं.

दिग्गज यादव नेताओं की घर वापसी
तेजस्वी यादव बिहार की सियासत में दिग्गज ‘यादव’ नेताओं की आरजेडी की छतरी के नीचे गोलबंदी करने में जुटे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव और पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव घर वापसी हो चुकी. दोनों ही दिग्गज यादव नेताओं ने अपने समर्थकों के आरजेडी का दामन थाम लिया हैं. साथ ही शरद यादव ने अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल और देवेंद्र अपनी पार्टी समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक का आरजेडी में विलय भी कर दिया है.

हालांकि, दोनों ही यादव नेता एक दौर में नीतीश कुमार के साथ जेडीयू में रहते हुए लालू यादव के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. आरजेडी को सियासी खामियाजा भी भुगतना पड़ा था, लेकिन तेजस्वी ने उन्हें जोड़कर यादव समुदाय को बड़ा सियासी संदेश देने में कवायद में है.

मुस्लिम-यादव-भूमिहार कैंबिनेशन
बिहार में तेजस्वी यादव आरजेडी को मुस्लिम-यादव के तमगे से निकालकर ए-टू जेड यानि सर्व समाज की पार्टी बनाने में जुटे हैं. एमएलसी चुनाव में आरजेडी ने जिस तरह से टिकट बंटवारे में सवर्ण समुदाय पर दांव खेला है, उसमें भविष्य के संकेत छिपे हैं. तेजस्वी यादव बिना शोर मचाए यादव बनाम भूमिहार की सियासत को अब यादव+भूमिहार+मुस्लिम की रणनीति पर हैं.

आरजेडी ने पहली बार पांच भूमिहार समुदाय के प्रत्याशी बनाकर उतारा है तो चार ठाकुरों को भी टिकट दे रखें हैं. भूमिहार समुदाय से कार्तिक मास्टर, पूर्वी चंपारण से बबलू देव, पश्चिमी चंपारण से सौरव कुमार, मुजफ्फरपुर से शंभू सिंह, मुंगेर से अजय सिंह आरजेडी प्रत्याशी हैं. इस तरह पारंपरिक यादव वोटरों पर भरोसा जताते हुए एक-एक टिकट ब्राह्मण, वैश्य, कुशवाहा एवं तीन टिकट मुस्लिम नेताओं दिया है.

कांग्रेस के वोटों पर आरजेडी की नजर
तेजस्वी यादव आरजेडी के आत्मनिर्भर बनाने के लिए कांग्रेस के वोटबैंक पर नजर गड़ाए हुए हैं. यही वजह है कि तेजस्वी अब भूमिहार से लेकर वैश्य और ब्राह्मण समुदाय तक को चुनावी मैदान में उतार रहे हैं ताकि यादव-मुस्लिम के अलावा भी उन्हें दूसरे समुदाय के वोट मिल सके. मुजफ्फरपुर में तेजस्वी यादव ने एमएलसी उम्मीदवार शंभू सिंह के बहाने कहा था कि आरजेडी अब किसी खास जाति की पार्टी नहीं है बल्कि, हर जाति व धर्म को लेकर चल रही है. तेजस्वी ने सवर्ण समाज से समर्थन मांगते हुए कहा कि हमने तो हाथ बढ़ा दिया है, अब आपको हमें अपना बनाने के लिए  चार कदम आगे बढ़ाने की जरूरत है. ये संकेत साफ है कि तेजस्वी सर्व समाज के वोटों को साधने में जुटे हैं.

तेजस्वी बना रहे अपनी युवा टीम 
तेजस्वी यादव भविष्य की सियासत को देखते हुए आरजेडी में एक नई लीडरशिप खड़ी कर रहे हैं, जिसमें सिर्फ यादव और मुस्लिम ही नहीं बल्कि सवर्ण समुदाय के नेताओं को भी तरजीह दे रहे हैं. मनोज झा आरजेडी के ब्राह्मण चेहरा हैं तो  प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह और पूर्व सांसद रामा सिंह राजपूत चेहरा माने जाते हैं. ऐसे ही सौरव कुमार को भूमिहार नेता के तौर पर आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसे ही दलित और गैर-यादव ओबीसी के युवा चेहरों को भी तेजस्वी ने आरजेडी में खास तरजीह दे रखी है. ये तेजस्वी यादव की टीम मानी जाती है, जिनके सहारे 2025 के चुनाव रण आरजेडी फतह करना चाहती है.

Source link

हिन्दी
Exit mobile version