उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति:
दरभंगा सहरसा वैशाली कटिहार और भागलपुर ऐसे जिले हैं जहां 100000 से 300000 हेक्टेयर भू भाग बाढ़ प्रभावित है। पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, अररिया और बेगूसराय जिलों में से 50000 से 100000 हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित रहती है। सीतामढ़ी, मधुबनी, मधेपुरा, पूर्णिया और मुंगेर जिलों में 20000 हेक्टेयर से कम भूमि बाढ़ प्रभावित रहती है। सीतामढ़ी और मधुबनी जिले गंगा की सहायक नदियों के ऊपरी क्षेत्र में रहने के कारण और मधेपुरा की स्थिति कोसी के दो तटबंधों के बीच होने से बाढ़ का प्रभाव यहां कम होता है। कोसी क्षेत्र में भयंकर बाढ़ की स्थिति बनी रहती है क्योंकि बहुत सारा पानी नेपाल द्वारा भी छोड़ा जाता है।
दक्षिण बिहार में बाढ़ की स्थिति:
दक्षिण बिहार में गंगा के तटबंध से दक्षिण तक एक पूर्व पश्चिम लंबा क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होता है। इस क्षेत्र में बाढ़ लाने वाली प्रमुख नदियां हैं- सोन, पुनपुन, फल्गु, मुहाने, सकरी, कियुल, बडुवा, चांदन।
गंगा का दक्षिणी तटबंध ऊंचा है जिसके कारण दक्षिण के पठारी भाग से आने वाली नदियों का जल गंगा में सीधे नहीं मिल पाता है। इन दक्षिणी नदियों की सम्मिलित विशाल जल राशि गंगा के समानांतर पश्चिम से पूरब की ओर बहते हुए एक बड़े क्षेत्र को जल पलवित करती है। यह जल पल्लवित क्षेत्र “टाल” कहलाता है जिसका विस्तार पश्चिम में बख्तियारपुर से पूर्व में भागलपुर तक है। इसी तरह गंगा के विभिन्न जल धाराओं के बीच स्थित “दियारा” क्षेत्र में प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित होते हैं। टाल और दियारा क्षेत्रों की नियति बाढ़ से जुड़ी रहती है।
Ananya Swaraj
Assistant Professor