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मैक्स वेबर का समाजशास्त्र में योगदान

Maximilian Carl Emil “Max” Weber एक जर्मन समाजशास्त्री और राजनीतिक अर्थशास्त्री थे। इनका समय काल 21 अप्रैल 1864 से 14 जून 1920 था। इन्हें आधुनिक समाजशास्त्र के जन्मदाताओं में से एक भी माना जाता है।

मैक्स वेबर की प्रमुख रचनायें थी:-

  1. द प्रोटेस्टेण्ड एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैप्टिलीज़म (1905)
  2. द रिलीज़न ऑफ इंडिया 1916
  3. द रिलीज़न ऑफ चाइना 1916
  4. द थ्योरी ऑफ सोसियल एन्ड इकनोमिक ऑर्गनाइजेशन 1922
  5. द सिटी 1922
  6. ऐंनसीएन्ट जुडेइजम
    7.एसेज़ इन सोशियोलॉजी
  7. द मैथेडॉलॉजी ऑफ सोसियल सांइसेज
  8. जनरल इकनोमिक हिस्ट्री
  9. द रेसनल एन्ड सोसियल फाउंडेशन ऑफ म्यूजिक

मैक्स बेबर कानून के विधार्थी, लेकिन कानून के अतिरिक्त राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, धर्म, इतिहास आदि का उन्हें ज्ञान था।

समाजशास्त्र पर मैक्स वेबर के विचार:

मैक्स वेबर के अनुसार, सामाजिक क्रिया का एक विस्तृत विज्ञान ही समाजशास्त्र है। मैक्स वेबर कर्ता द्वारा अपने विशिष्ट सामाजिक-ऐतिहासिक संदर्भ में की गई क्रिया और पारस्परिक क्रिया को दिए गए व्यक्तिपरक अर्थ पर जोर देते हैं।

मैक्स वेबर के अनुसार सत्ता:

मैक्स वेबर ने आधुनिक राज्य में तीन तरह की सत्ता बताया है :-
1.परम्परागत सत्ता (Traditional Authority)
2.कानूनी विवेकपूर्ण या तर्कसंगत सत्ता (Legal7Rational Authority)
3.करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
मैक्स वेबर के अनुसार सत्ता उस सामाजिक स्थिति का घोतक है जिसमें अनुयाई स्वैच्छिक रूप से आदेश का पालन करते हैं।

शक्ति पर मैक्स वेबर के विचार:

मैक्स वेबर के अनुसार शक्ति दलगत आधार पर दल के सदस्यों में निहित होती है। इसे उन्होंने त्रियामी या शून्य सिद्धांत का नाम दिया है।

मैक्स वेबर का सामाजिक क्रिया सिद्धांत:

मैक्स वेबर के लिए, सामाजिक क्रिया यानी ‘सोशल एक्शन’ का अर्थ वैसी क्रियाओं से है जिनका एक विशिष्ट अर्थ उभरकर समाज में आता है।

मैक्स वेबर का वेरस्टेन:

Verstehen वेरस्टेन का उपयोग मैक्स वेबर ने सामाजिक परिघटना की “व्याख्यात्मक या भागीदारी” परीक्षा के विशेष अर्थ के साथ किया है।

मैक्स वेबर का आदर्श प्ररूप :

वेबर ने ‘आदर्श प्ररूप’ (ideal type) का इस्तेमाल एक विशिष्ट अर्थ में किया। उसके अनुसार ‘आदर्श प्ररूप’ एक मॉडल की तरह है। यह दिमागी तौर पर बनाई गई ऐसी तुलनात्मक विधि है जिसके आधार पर वास्तविक स्थिति अथवा घटना को आदर्श प्रारूप से तुलना करके परखा जा सकता है।

Ananya Swaraj,
Assistant Professor.

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