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सामाजिक मानवशास्त्र का अर्थ एवं विषय वस्तु (Meaning and Subject Matter of Social Anthropology)

सामाजिक मानवशास्त्र समाज एवं सामाजिक संरचना के अध्ययन से संबंधित है। समाज का अर्थ है विभिन्न प्रकार के संस्थागत व्यवहारों के द्वारा बंधे हुए लोगों का जाल। मनुष्य का व्यवहार विभिन्न संस्थागत संबंधों से बंधा होता है। यह संस्थागत संबंध एवं व्यवस्था ही सामाजिक मानव शास्त्र की विषय वस्तु है। सामाजिक संबंध व्यवहारों से बनता है। व्यवहार के द्वारा ही हम एक दूसरे से परिचित होते हैं तथा यह किसी भी समाज का एक विशेष लक्षण होता है।

एवान्स प्रिचार्ड ने अपनी पुस्तक Social Snthropology (p.11) में लिखा है कि सांस्कृतिक मानवशास्त्र की ही एक शाखा सामाजिक मानवशास्त्र है।

लेवी स्ट्रॉस ने सामाजिक एवं सांस्कृतिक मानव शास्त्र में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा है कि मानव को दो प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है –
पहला, उपकरण निर्माण कार्य प्राणी के रूप में ( as a Tool Making Animal)
दूसरा, सामाजिक प्राणी के रूप में (as a Social Animal)

Levi Strauss कहते हैं अगर मानव की प्रथम प्राणी के रूप में विवेचना की जाए तो यहां मनुष्य उपकरण से प्रारंभ होते हैं और उपकरण के रूप में संस्थाओं तक पहुंचते हैं जिसके कारण सामाजिक संबंध संभव होते हैं। यह सांस्कृतिक मानवशास्त्र का निर्माण करता है।
दूसरे प्रकार में मनुष्य एक सामाजिक संबंध से शुरू होता है और उस विधि के रूप में जिसके द्वारा सामाजिक संबंध स्थिर रहता है उसकी मदद से उपकरण तथा संस्कृति तक पहुंचता है यहां मनुष्य सामाजिक मानवशास्त्र का निर्माण करता है।
इन दोनों में भेद केवल मात्र दृष्टिकोण या परिपेक्ष का है और सामाजिक मानव शास्त्र तथा सांस्कृतिक मानव शास्त्र की विधि व्यवस्था में कोई गंभीर अंतर नहीं है। (Levi Strauss: Social Structure in Anthropology Today, 1953, p.1)

Evans Pritchard ने कहा है कि सामाजिक मानवशास्त्र सामाजिक व्यवहार, सामान्यता संस्थागत स्वरूप में जैसे – परिवार, नातेदारी व्यवस्था, राजनीतिक संगठन, वैधानिक विधियां, धार्मिक विश्वास इत्यादि और इन संस्थाओं में पारस्परिक संबंधों का अध्ययन है।

सामाजिक मानव शास्त्र की विषय वस्तु:

रेडक्लिफ ब्राउन के अनुसार सामाजिक मानवशास्त्र आदिकालीन समाज एवं मनुष्यों का अध्ययन करता है।

ईवांस प्रिचार्ड के अनुसार सामाजिक मानवशास्त्र सामाजिक व्यवहार एवं सामाजिक संस्थाओं का अध्ययन करता है।

पिडिंगटन सामाजिक मानवशास्त्र को समकालीन आदिम समाजों की संस्कृतियों का अध्ययन क्षेत्र मानते हैं।

प्रमुख मानव शास्त्री नाडेल का मानना है कि सामाजिक व्यवस्थाएं ही सामाजिक मानवशास्त्र का अध्ययन विषय है।

लूसी मेयर के अनुसार अधिकतर सामाजिक मानवशास्त्री मानवशास्त्र को समाजशास्त्र की एक शाखा के रूप में मानते हैं।

प्रोफेसर एस. सी. दुबे के अनुसार सामाजिक मानवशास्त्र का अध्ययन क्षेत्र सामाजिक तथा राजकीय संगठन और न्याय व्यवस्था आदि हैं।

Ananya Swaraj,
Assistant Professor, Sociology

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