भारत गांवों का देश है। प्रोफेसर ब्लॉथ के अनुसार “भारत गांव का एक अति उत्कृष्ट देश है” भारतीय समाज में ग्रामीण संस्कृति, कृषि, पशुपालन आदि बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं इसीलिए ग्रामीण समाजशास्त्र का महत्व भारत में अत्यधिक है। ग्रामीण समाजशास्त्र का महत्व इसलिए भी अन्य शास्त्रों से कहीं अधिक है क्योंकि यह गांवों के विभिन्न अंगों का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन करता है।
भारत में ग्रामीण समाजशास्त्र के निम्नलिखित महत्व है –
पहला, ग्रामीण क्षेत्र भारतीय संस्कृति का मूल स्रोत है। भारतीय संस्कृति नगरों में नहीं जन्मी है बल्कि इसकी उत्पत्ति गांव से हुई है अतः भारतीय संस्कृति का मूल स्थान और स्रोत भारतीय गांव है गांव पहले बने हैं और नगर बाद में इसीलिए आज हमारे देश में जो भी भाषा, वेशभूषा, परंपराएं, प्रथाएं, लोक विश्वास, नीतियां, आदर्श, धर्म है वह कहीं ना कहीं गांव से जुड़ी है इसीलिए गांव की संस्कृति से परिचित हुए बिना भारतीय संस्कृति को समझना नामुमकिन है।
दूसरा महत्व यह है कि भारतीय गांव का मुख्य व्यवसाय कृषि है संपूर्ण ग्रामीण जनता किसी न किसी रूप में कृषि से जुड़ी है उनकी जीविका का मुख्य साधन कृषि होता है। आज के खाद्य संकट को दूर करने, बेरोजगारी को दूर करने और ग्रामीण विकास के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि ग्रामीण कृषि का विकास किया जाए अतः ग्रामीण समाजशास्त्र पढ़ना बेहद आवश्यक है।
ग्रामीण समाजशास्त्र का तीसरा महत्व यह है कि भारतीय जनता का लगभग 75% जनसंख्या गांवों में निवास करता है उनकी समस्या से अवगत होना बिना ग्रामीण समाज को पढ़े बिना संभव नहीं है। ए. आर. देसाई कहते हैं “भारतीय ग्रामीण जीवन वास्तविक विपत्ति, सामाजिक पिछड़ेपन और संकट की एक दृश्य उपस्थित करता है।” अतः इस समाज को समझने और इनकी समस्याएं दूर करने के लिए ग्रामीण समाज को वैज्ञानिक ढंग से समझना अत्यंत आवश्यक है।
ग्रामीण समाजशास्त्र का चौथा महत्व यह है कि वर्तमान में ग्रामीण आर्थिक सामाजिक ढांचे में तीव्रता से परिवर्तन हो रहा है और इस सामाजिक परिवर्तन को समझने के लिए ग्रामीण समाजशास्त्र हमारी मदद करता है।
पांचवा महत्व, ग्रामीण पुनर्निर्माण प्रक्रिया में ग्रामीण समाजशास्त्र अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योजनाओं का क्रियान्वयन, बेरोजगारी दूर करना, दरिद्रता दूर करना, ग्रामीण संरचना का विकास करना, शिक्षा का प्रचार, जीविकोपार्जन के साधनों में वृद्धि करना, सभी जातियों के व्यक्तियों में समानता की भावना उत्पन्न करना, महिलाओं की स्थिति में सुधार लाना, रहन-सहन के तौर तरीकों में सुधार लाना आदि इसके लिए बेहद आवश्यक है कि ग्रामीण समाज को बारीकी से समझा जाए और उनके अनुरूप नीतियां और कार्यक्रम बनाए जाए और उन्हें उसी अनुसार क्रियान्वित भी किया जाए। इसीलिए ग्रामीण समाजशास्त्र का एक विशेष महत्व है।
Ananya Swaraj
Assistant Professor, Sociology