संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यानी यूनिसेफ भारत में बच्चों और किशोरियों के विकास के लिए कार्य कर रहा है। यूनिसेफ का उद्देश्य दुनियाभर के बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर बनाना, शिक्षा और समग्र विकास है। पिछले 70 वर्षों से यूनिसेफ भारत में बच्चों और उनके परिवारों के जीवन को सुधारे के लिए कार्य कर रहा है। यूनिसेफ इंडिया देश के बच्चों और किशोरों के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है। यूनिसेफ लैंगिग समानता और किशोरियों को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। इसके साथ ही किशोरियों को सशक्त बनाने के लिए यूनिसेफ कार्यक्रम चला रहा है। यूनिसेफ और किलकारी योजना के तहत किशोरियों को सशक्त बनाने और उनके उज्जवल भविष्य के किए जा रहे प्रयासों पर अमर उजाला की सीरीज में बिहार की कराटे गर्ल अमृता राज की कहानी आपने पढ़ी होगी।
बिहार की पिंकी कुमारी
पिंकी कुमारी बिहार की रहने वाली हैं। पिंकी महज 17 साल की हैं लेकिन कड़े परिश्रम और यूनिसेफ एवं किलकारी की मदद से आज प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं। पिंकी कुमारी प्रदेश की होनहार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।
बैडमिंटन खिलाड़ी के तौर पर बनाई पहचान
बिहार की बैडमिंटन चैंपियन पिंकी कुमारी ने जब खेलना शुरू किया तो उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए मणिपुर जाना था। उनकी मां तो तैयार हो गईं लेकिन पिता बेटी को खेल के लिए घर से दूर भेजने को तैयार नहीं थे।
हालांकि पिंकी किसी तरह पिता को समझाकर मैच खेलने गईं। लेकिन अब प्रतियोगिता में जब भी वह जीतकर मेडल लाती हैं तो उनके मम्मी-पापा बहुत गर्व महसूस करते हैं और प्रोत्साहित करने के लिए कहते हैं ‘तुम हमारा नाम रोशन करो।’
किलकारी योजना ने बनाया सशक्त
पिंकी किलकारी योजना की मदद से आगे आईं। किलकारी साल 2008 में यूनिसेफ की मदद से शुरू हुई योजना है, जो गर्भवती महिलाओं, किशोरियों और शिशुओं के स्वास्थ्य और विकास से जुड़ी है। बिहार सरकार किलकारी योजना को वित्तीय सहायता देती है। किलकारी में रजिस्टर ज्यादातर बच्चे समाज के हाशिए पर स्थित वर्ग से हैं।